hindisamay head


अ+ अ-

कविता

कविता के साथ-साथ

हेमधर शर्मा


हो सकता है कि अच्छी न बने कविता
क्योंकि आँखों में नींद और सिर में भरा है दर्द
पर स्थगित नहीं हो सकता लिखना
लिखा था कभी
कि जीवन की लय को पाना ही कविता है
लय तो अभी भी टूटी नहीं
पर सराबोर है यह कष्टों और संघर्षो से
नहीं रोकूँगा अब इन्हें
कविता में आने से।
ओढ़ूँगा-बिछाऊँगा
रखूँगा अब साथ-साथ कविता को।
जानता हूँ कठिन है
इजाफा ही करेगी यह
कष्टों-संघर्षो में
लेकिन मंजूर है यह।
साथ रही कविता तो
भयानक लगेगी नहीं मौत भी
कविता के बिना लेकिन
रास नहीं आएगा जीवन भी।


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में हेमधर शर्मा की रचनाएँ