जाँच-परख करने में माहिर
	हम नन्हें जासूस।
	आँखें-कान खुले रखते हैं
	रहते चौकन्ने-तैयार
	पता लगा लेते अम्मा ने
	कहाँ छुपाकर रखें अचार।
	दिनभर मस्त रहें अपने में
	होते ना मायूस।
	जहाँ मिलेंगे अपने मन के
	सभी खिलौने व सामान
	हमे पता किस गली-मुहल्ले
	में पड़ती है वह दुकान।
	हँसते-गाते हुए निकलता
	अपना रोज जुलूस।
	चोर-सिपाही, लुका-छुपी का
	अक्सर खेला करते खेल
	सूझ-बूझ से पकड़ चोर को
	सीधे पहुँचाते हैं जेल।
	अपने थाने में न चलती
	है बिल्कुल भी घूस।