hindisamay head


अ+ अ-

लोककथा

बेजुबान

खलील जिब्रान

अनुवाद - बलराम अग्रवाल


गलत था यह
माफी माँगनी पड़ेगी
घर से परिवार से
बात-बात पर ऐंठ रहे 
हरेक रिश्तेदार से
मित्रों से पड़ोसियों से
और संसार से
हरेक बिलखती आवाज से
और
खामोशियों के बाजार से!
माफी तो माँगनी पड़ेगी
और करना पड़ेगा इंतजार भी
कि
माफी मिली भी या मिली ही नहीं!
गलत था यह
गलती का दंड तो झेलना पड़ेगा
मौत के कुएँ में
जिंदगी से खेलना पड़ेगा
और ठेलना पड़ेगा जीवन को
मौत की आखिरी सीढ़ी तक
डूबना पड़ेगा
जग हँसाइयों के धधकते महाकुंड में 
क्योंकि गलत था यह!
गलत था यह कि
उसके होते मैंने 
किसी और की तारीफ क्यों की
किसी और का नाम क्यों लिया...
 

End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में खलील जिब्रान की रचनाएँ