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कविता

प्यार की गुफाएँ

मनीषा जैन


हर साँस में रखूँगा
तुम्हारी महक
तुम्हारे हाथों का स्पर्श
तुम्हारे स्नेह का चुंबन

और करता रहूँगा प्रतीक्षा
असीम समय तक
उस दृष्टि की
जब तुम मुझे ले जाती थीं
प्यार की गुफाओं में
और बचाकर रखती थीं
बुरी नजर से मुझे

उन्हीं खोहों में बस जाऊँगा
फिर से तुम्हारे लिए।
 


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