बचपन में अपनी पाठ्य पुस्तक में एस्किमो बालक नाम का एक चैप्टर पढ़ा था जिसमें पहली और आखिरी बार सील और वौलरस नाम के जीवों की तसवीरें देखीं थीं और इग्लू के बारे में जाना था। कुछ तस्वीरों में कई एस्किमो बालक स्लेज की सवारी कर रहे थे। स्लेज यानि एक ऐसी गाड़ी जिसे कुत्ते खींचते हैं। बहुत अच्छा लगा था लेकिन उस उम्र में यह भी लगा था कि यह जरूर किसी दूसरी दुनिया की बात है। ऐसे लोग ऐसे माहौल में रहते होंगे जो वाकई इनसान होंगे, जो हमारी तरह सोचते होंगे और हमारे जैसी भावनाएँ रखते होंगे, ये मानने को दिल तैयार नहीं था और तब तक नहीं था जब तक न्यूजीलैंड के निर्देशक विन्सेंट वार्ड की फिल्म 'द मैप ऑफ द ह्यूमन हार्ट' नहीं देखी थी। अपनी कुछ कमियों के बावजूद यह फिल्म सिर्फ इसलिए देखी जानी चाहिए क्योंकि यह अपने शानदार कैमरावर्क के साथ आपको ऐसी दुनिया में ले जाती है जहाँ हिंदी फिल्में हमें बहुत बेईमानी से सिर्फ कुछ देर के लिए ले गई हैं और वह भी इसलिए की वहाँ जाकर हमारे नायक नायिका एक दूसरे को बर्फ के गोले बना कर मार सकें और एक मधुर गाने की गुंजाइश निकाली जा सके।
एविक नाम का एस्किमो बालक ट्यूबरकुलोसिस नाम की बीमारी से ग्रसित है और दृश्य 1931 में कनाडियन उत्तरी ध्रुव का है। वह आधा गोरा और आधा एस्किमो है। मैपिंग यानी नक्शे बनाने वाले कुछ लोग वहाँ आए हैं और उनका यह काम एविक को बहुत आकर्षित करता है। वाल्टर रसेल नाम का गोरा उसकी बीमारी के बारे में जानकर उसकी दादी को बताता है कि इस लड़के को गोरों वाली बीमारी है और उसे गोरों वाली ही दवाई चाहिए। एविक की दादी के ये तर्क कि 'यह कोई पुराना श्राप है' या 'घर में एविक के अलावा कोई मर्द नहीं है' या 'एविक को एक बड़ा शिकारी बनना है', वाल्टर के सामने नहीं चलते और वह एविक को लेकर उसका इलाज कराने अपने साथ ले जाता है। वहाँ एविक को एक स्कूल में भरती किया जाता है जहाँ एक कड़क टीचर मिलती है जो बताती है कि सबको अच्छा बनना चाहिए और जन्नत में जाना चाहिए नहीं तो बुरे कर्म करने वाले लोग (प्रोटेस्टेंट लोगों की तरह) नरक में जाते हैं। वह एविक से कहती है, 'मुझे पता है तुम्हारे पिता गोरे थे इसलिए तुम्हें थोड़ी अँग्रेजी जरूर आती होगी।' एविक सहमति में सिर हिलाता है। वह पूछती है, 'हमें बताओ तुम्हें अँग्रेजी में क्या आता है?' एविक सोच कर धीरे से बोलता है, 'चाक... कलेक्ट...' ये दो शब्द सुनकर टीचर खुश होती है और कहती है, 'बहुत अच्छा, और आगे...?' उत्साहित एविक अपना अँग्रेजी का सारा ज्ञान उड़ेल देना चाहता है और मुस्कुराता हुआ बोलता है, 'होली बॉय, फक यू'। टीचर उसे मारती है और क्लास के सभी बच्चे उसे पोटैटो फेस कह कर चिढ़ाते रहते हैं। 'ओ बॉय' और 'होली काऊ' को मिला कर वह 'होली बॉय' कहता है जो पूरी फिल्म में उसकी पहचान के तौर पर प्रयोग हुआ है। सबसे अधिक चिढ़ाने वालों में से एक लड़की एल्बर्टीन है जो गोरे और भारतीय माता पिता की संतान है और उसे हाफ ब्रीड के ताने सुनने पड़ते हैं। एविक और उस लड़की में एक अनोखा रिश्ता विकसित होता है जिसमें दोनों कभी जानवरों की तरह लड़ने लगते हैं और कभी अचानक पागलों कि तरह हँसने लगते हैं। एविक का एल्बर्टीन के कंधे पर बैठ कर अपने घर को देखने की कोशिश करने वाला दृश्य बहुत मार्मिक है जिसमे वह कहती है कि वह अपने पिता का इंतजार कर रही है और उसे उम्मीद है कि वह उसके लिए एक घोड़ा लेकर आएँगे। एविक कहता है कि उसके पिता नहीं आएँगे और इस पर एल्बर्टीन उसे अपने कंधे से नीचे पटक देती है। एविक उससे कहता है कि वह उसे अपने घर लेकर जाएगा तो वह कहती है कि इंडियन लोग बर्फ में नहीं रह सकते। एविक आश्चर्य से पूछता है कि क्या वह इंडियन है? वह कहती है, हाँ, और एविक उस पर टूट पड़ता है क्योंकि एस्किमो लोग इंडियन्स से नफरत करते हैं। ऐसे ही छोटी छोटी बातों पर वो लड़ते हैं और फिर अचानक हँसने लगते हैं। टीचर को उनकी शैतानियाँ रास नहीं आतीं और वह एल्बर्टीन को अलग कर देती है।
फिल्म आगे बढ़ती है और इस बार 1941 के दृश्य में बड़ा एविक दिखाई पड़ता है जिसकी बीमारी ठीक हो गई है और वह अपने घर वापस आ चुका है। उसके दोस्त उसे हवा में उछाल रहे हैं और फिर से एक जहाज दिखाई पड़ता है। एविक की एक दोस्त कहती भी है कि एविक जब भी हवा में जाता है हवाई जहाज लेकर वापस आता है। इस बार भी वाल्टर मैपिंग करने आया है। वाल्टर उसे बताता कि युद्ध छिड़ा हुआ है और एविक पूछता है कि हम किस ओर से लड़ रहे हैं। वाल्टर बताता है कि हम इंग्लैंड की ओर से जर्मनी के खिलाफ लड़ रहे हैं। एविक जब अगली बार दिखाई देता है तो वह बमबारी करने वालों के साथ एरियल फोटोग्राफर बन चुका होता है। यहाँ उसकी मुलाकात फिर से एक बार एल्बर्टीन से होती है और उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहता। लेकिन उसकी खुशी तब हवा हो जाती है जब उसे पता चलता है की वाल्टर के साथ बंध चुकी है। वाल्टर से उसने एल्बर्टीन के लिए उसके सीने का एक्सरे भेजा था जो देने के बाद दोनों करीब हो गए। एल्बर्टीन कहती है कि जब वह एक्सरे देने वाल्टर आया था तो वह बहुत खूबसूरत लग रहा था। लेकिन दरअसल बात यह कि एल्बर्टीन हाफ ब्रीड के ताने सुनकर तंग आ चुकी है और उसे अब किसी हाफ ब्रीड से शादी करके जिंदगी भर के लिए ताने नहीं सुनने। वह अपने लिए एक गोरा इनसान चाहती थी इसलिए उसने वाल्टर का साथ स्वीकार कर लिया।
युद्ध के दौरान एविक की फोटोग्राफी के दृश्य और इस बहाने शानदार कैमरावर्क का नमूना फिल्म की जान है। फिल्म के अंत में एल्बर्टीन की बेटी अपने पिता को ढूँढ़ती हुई आती है और एविक से मिलती है। फिल्म के दो दृश्य फिल्म को एक अलग ऊँचाई प्रदान करते हैं। पहला है एक बड़े गुब्बारे के ऊपर एल्बर्टीन और एविक का प्रेम दृश्य। ऐसा प्रेमालाप किसी फिल्म में नहीं दिखाया गया और कई मायनों में बहुत सुंदर बन पड़ा है। बचपन में एल्बर्टीन ने एविक को अपने सीने के ऑपरेशन का निशान दिखाया था और इस बार एविक उसके टॉप के बटन खोलते हुए कहता है कि हम वहीं से शुरू करेंगे जहाँ पिछली बार हमने अधूरा छोड़ा था। फिल्म का अंतिम दृश्य भी बहुत भावुक कर देने वाला है जहाँ बदहाल एविक बर्फ की एक चट्टान पर गिरा हुआ है और युवा एविक एल्बर्टीन को एक गुब्बारे में लेकर उसी चट्टान के ऊपर से गुजर रहा है। दो मोड़ों वाला यह अंत कहानी को एक दार्शनिक स्पर्श देता है। यह कोई युद्ध आधारित फिल्म नहीं है और ना ही यह कोई एस्किमो की जिंदगी के बारे में बताने वाली कथा, यह एक ऐसी प्रेम कहानी है जिसमें समझौते की दुनियावी मजबूरियाँ शामिल हैं। एल्बर्टीन को हाफ ब्रीड कहलाए जाने से नफरत है और इसके लिए वह वाल्टर का साथ मंजूर करती है लेकिन प्रेम वह एविक से ही करती है।
एविक अपने स्थान को छोड़कर कहीं नहीं जाना चाहता। उसे लगता है कि वो खराब नसीब वाला है और जहाँ भी जाता है उसकी बदकिस्मती उसके साथ चलती है। फिल्म दो घंटे से भी कम अवधि में एक लंबे कालखंड को समेटती है और कहीं कहीं बोझिल भी लगने लगती है। कलाकारों का अभिनय बहुत सहज है और कुछ दृश्य बहुत बेहतरीन और भावुक करने वाले हैं। कुल मिलाकर यह फिल्म अपने शानदार दृश्यों के कारण यादगार बन गई है।