कोई आवाज़ होती और
					एक ओर अचानक सब लोग देखने लगते।
					जिन्हें अब भी उम्मीद होती|
					ऐसे कुछ लोग आवाज़ की जगह के नज़दीक भी जाते -
					प्रायः वहाँ हल्की खरोंच और थोड़ी धूल और बदहवासी मिलती।
					हताश लोग बैठे रहते कि कोई आकर विवरण सुनाएगा और
					वे अविचल बने रहेंगे लेकिन उनके अनजाने -
					उनके घुटने बगावत कर चुके होते
					और अपने लगातार हिलते पैर का उन्हें मालूम भी नहीं होता।
					थोड़ी या अधिक देर होती तो
					लोग अपनी हथेली पर रखे दिन-रात को
					रेंगते कीड़े की तरह फिर से देखने लगते।
					लेकिन जो आवाज़ हुई थी और एक ओर
					देखने लग गए थे सब लोग इसने
					आज को इतना तो हिला ही दिया होता
					कि अगर आज का वृक्ष है तो
					कुछ पुरानी पत्तियाँ झर गई हैं उदासी से और
					पड़ी हुई ज़मीन पर उड़ नहीं रहीं।
				
					हताश लोग पुरानी दुर्घटनाओं में मारे गए
					बहुत पुराने परिचित का विवरण सुनाने लगते
					कोई उत्तेजना की लहर आती भी
					तो कुत्तों के चैंक पड़ने से आती।