कविता
रात महेश वर्मा
तारों में छोड़कर आए थे हम अपना दुख यहाँ इस जगह लेटकर इसीलिए देखते रहते हैं तारे। गिरती रहती है ओस।
हिंदी समय में महेश वर्मा की रचनाएँ