hindisamay head


अ+ अ-

कविता

नेपथ्य

महेश वर्मा


और जैसे कि इस छोटी सी पत्ती के नेपथ्य में है
धरती की गर्म तहों का भीतरी जल
और किसी बीज का सपना।
रंगों के नेपथ्य में बैठा है
जली हुई पुतलियों वाला चित्रकार
किसी दोपहर जो देखता रहा था
सूर्य की आँखों में देर तक।
स्मृतियाँ तो खुद ही इस समय का नेपथ्य हैं
उनके नेपथ्य में व्यतीत समय की आहटें हैं और
न पढ़े गए शोक प्रस्तावों की तरह के प्रेमपत्र।
बीमार इच्छाएँ और पागल कविताएँ हैं
ऋतुओं का नेपथ्य।
क्रूरताओं के नेपथ्य में हैं बड़ी-बड़ी इच्छाएँ
और अँधेरी जगहें मन की।


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में महेश वर्मा की रचनाएँ