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कविता

ऊब

स्नेहमयी चौधरी


कमर की हड्डी टूटी
उसका क्या रोना ?
सुन-सुन कर सब ऊब उठे हैं
भीड़ उठ कर चली गई ।


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हिंदी समय में स्नेहमयी चौधरी की रचनाएँ