मेरे अंदर की अबोध लड़की चुपचाप खिसक गई जाने कहाँ कविताओं में अपने को अभिव्यक्त कर पाने में असमर्थ फूट-फूट कर रो रही हूँ मैं यहाँ!
हिंदी समय में स्नेहमयी चौधरी की रचनाएँ