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कविता

लड़की

स्नेहमयी चौधरी


मेरे अंदर की
अबोध लड़की
चुपचाप खिसक गई
जाने कहाँ
कविताओं में अपने को
अभिव्यक्त कर पाने में असमर्थ
फूट-फूट कर रो रही हूँ मैं यहाँ!


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हिंदी समय में स्नेहमयी चौधरी की रचनाएँ