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कविता

रेल

संदीप तिवारी


1.

माँ बाप ने तो
केवल चलना सिखाया
जिसने दौड़ना सिखाया
वह तुम थी...
रेल
भारतीय रेल...

2.

जब मेरे मन में पहली बार
घर से भागने का विचार
कौंधा
तो सबसे पहले
तुम याद आई थी,
रेल...
भारतीय रेल
फिर जिस ने भागने से मना किया
समझाया और लौटाया भी,
वह तुम थी!
रेल
भारतीय रेल...

3.

कुछ भी हो
इस देश में बहुतेरे लोग
मेरी तरह
कर्जदार हैं तुम्हारे,
वह तुम हो...
जो कभी तगादा नहीं करती!
रेल
भारतीय रेल...

4.

कोई भी हो
बँधा तो रहता ही है,
जात-पात में
ऊँच-नीच में
पर तुम हो
केवल! तुम...
जो इस बंधन से मुक्त, उन्मुक्त हो,
रेल
भारतीय रेल...

5.

जिंदगी तो रोज ही
उतर जाती है पटरी से
पर एक तुम हो
जो गुजार देती हो अपना जीवन
पटरियों पर ही
रेल
भारतीय रेल...


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