गूगल द्वारा प्रायोजित लूनर x-प्राइज, जिसकी राशि 30 मिलियन डॉलर (200 करोड़
रुपये) है, को जीतने की अंतिम तिथि 31 मार्च 2018 से आगे बढ़ा दी गई है। इसको
हासिल करने के लिए किसी भी टीम को चंद्रमा की सतह पर एक ऐसा अंतरिक्ष यान
सफलतापूर्वक उतारना होगा जो चलचित्र और तस्वीर भेजने में सक्षम हो, और एक ऐसी
डुग्गी बनानी होगी जो चंद्रमा की सतह पर कम से कम 500 मीटर चल सके।
ओडिसी मून, एस्ट्रोबोटिक, टीम इटालिया, फ्रेडनेट, अर्का, स्टेलर, ओमेगा
एन्वोय, यूरोलूना, सेलेन, c-बेस, सेलेनोखोड, रॉकेट सिटी, मिस्टिकल मून, पुली,
स्पेसमेटा, माइक्रोस्पेस, क्वांटम 3, अद्वैरोस, लूनाट्रेक्स, फीनिशिया, जर्बन
इत्यादि - ये ऐसी टीमें हैं जिन्होंने इस इनाम को जीतने की प्रतियोगिता में
हिस्सा लेकर जोर शोर से तैयारी तो की थी लेकिन फिर या तो 'स्वयं' को वापिस ले
लिया या फिर दूसरी बड़ी टीमों के साथ जुड़ गईं। प्रतियोगिता के अंतिम चरण तक
सिर्फ 5 टीमों में ही इतनी तकनीकी काबिलियत थी कि इनाम की राशि को हासिल करने
की शर्तों को पूरा कर सके। जापान की टीम हाकुटो, इजराइल की टीम स्पेस-IL,
अमेरिका की टीम मून एक्सप्रेस, भारत की टीम इंडस, और एक अंतरराष्ट्रीय टीम
सिनर्जी मून। चूँकि इन पाँचों में से भी कोई यान भेजने में सफल नहीं हो पाया
है इसीलिए अंतिम तिथि को आगे बढ़ा दिया गया है। अगर आप भी इस इनाम के भागी बनना
चाहते हैं, तो इनमें से किसी से भी या तो जुड़ सकते हैं, या एक नई टीम अपनी खुद
की बना सकते हैं जिसमे उन अभियांत्रिकों और तकनीशियनों को आप शामिल कर सकते
हैं जो अंतिम पाँच में नहीं हैं।
भारतीय टीम इंडस का मिशन इसरो के साथ चलती समस्याओं और आर्थिक वाद-विवाद के
कारण खटाई में पड़ गया है। अपने यान के लिए अब वह किसी और देश या संस्था के
रॉकेट की तरफ देख रही है। शक्तिशाली अमेरिका की टीम भी पूरे जोर शोर के साथ
अंतरराष्ट्रीय निवेशकों से पैसा जुटाने में लगी है। गूगल अब इनाम की राशि को
बढाकर 40 मिलियन डॉलर (250 करोड़ रुपये) कर रहा है।
अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अलग अलग क्षेत्रों में तकनीकी उपलब्धियों को
पुरुस्कृत की इच्छा से x-प्राइज ने 3 क्षेत्रों में विभिन्न टीमों को इनाम
दिया। जापानी टीम हाकुटो ने जटिल मशीनों के लघुकरण की जापानी अभियांत्रिकी की
शक्ति को प्रदर्शित करते हुए एक ऐसा घुमंतू बनाया है जो सिर्फ 30 सेंटीमीटर
लंबा और 20 सेंटीमीटर ऊँचा है और जिसका वजन मात्र 2 किलोग्राम है। यह सिर्फ 2
चक्कों से ही चंद्रमा की सतह पर चलने की क्षमता रखता है। इसके लिए उसको
x-प्राइज की ओर से गतिशीलता के क्षेत्र में इनाम दिया गया है।
अमेरिकी कंपनी ने अपने मिशन को तीन हिस्सों में बाँट दिया है - MX-1E, MX-2 और
MX-9। MX-1E का उद्देश्य चंद्रमा की अधिक जानकारी प्राप्त करना होगा। MX-2 का
उद्देश्य एक चौकी स्थापित करना होगा। MX-9 का उद्देश्य चंद्रमा पर उपस्थित
मिट्टी और अन्य सामग्री को वापिस लाना होगा।
इन सभी टीमों का उद्देश्य कम लागत वाले रोबोट अंतरिक्ष अन्वेषण में सफलता
हासिल करना है।