hindisamay head


अ+ अ-

लेख

चंद्रमा का खनिज खनन

डॉ. भारत खुशालानी


सभी मानव आर्थिक गतिविधि सिर्फ हमारे पृथ्वी ग्रह के भौतिक और ऊर्जा संसाधनों पर ही निर्भर करती है। भविष्य में अंतरिक्ष अन्वेषण में हो रही प्रगति हमारी इस धरती पर निर्भर करने वाली अर्थव्यवस्था को बदल सकती है, जिससे हमें ऊर्जा और कच्चे माल के असीमित बाह्य संसाधन प्राप्त हो सकते हैं। पृथ्वी का निकटतम आकाशीय पड़ोसी, चंद्रमा, इसमें एक प्रमुख भूमिका निभाएगा। पूरे विश्व में कई निजी कंपनियाँ खुल गईं हैं इस संभावना का पता लगाने के लिए।

विश्वभर में अधिक से अधिक अंतरिक्ष मिशनों की घोषणा की जा रही है जिससे चंद्रमा पर खनन की संभावना बढ़ती जा रही है। भारत ने भी चंद्रयान भेजा था चंद्रमा पर लेकिन खनिज खनन का उद्देश्य लेकर नहीं। चंद्र खनिजों के खनन से हम कितनी दूर हैं और इसमें आने वाली कौन सी प्रमुख चुनौतियों का हमें सामना करना पड़ेगा?

चंद्र खनिजों के खनन वाली अधिकांश योजनाओं में बारीक सामग्री का संग्रह शामिल है। इन योजनाओं में इस बारीक सामग्री को उष्ण या रासायनिक प्रसंस्करण के माध्यम से उपयोगी सामग्री का निष्कर्षण और बचे हुए कचरे को हटाने की विधि शामिल है। चंद्रमा के इन संसाधनों का कई तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है, जैसे किसी और ग्रह की यात्रा करने के लिए चंद्रमा पर रुक कर इस प्रसंस्करण द्वारा उत्पन्न ईंधन के स्रोत को इकट्ठा करना, या पृथ्वी पर उपयोग करने के लिए दुर्लभ धातुओं और खनिजों का एक वैकल्पिक स्रोत प्रदान करना।

वैज्ञानिकों ने हीलियम वायु के समसथानिक, हीलियम-3, के लिए चंद्रमा खनन का महत्व बताया है। हीलियम-3 अरबों वर्षों से सौर ऊर्जा द्वारा चंद्रमा की ऊपरी परत में सन्निहित हो गई है। हालाँकि चंद्रमा से निकली हुई यह हीलियम-3 वायु दुनिया की भविष्य की ऊर्जा जरूरतों को सुलझाने में मदद करेगी, तथापि इसका खनन करने और इसे धरती तक लाने के लिए जरूरी निवेश और अवसंरचना बहुत बड़ी है।

कई निजी कंपनियों ने तय किया है कि इसमें आने वाली लागत और निवेश चाहे जितना बड़ा हो, वे इन योजनाओं का अनुसरण करना चाहती हैं। उन्होंने काफी हद तक इन योजनाओं का विस्तार किया है, परंतु अभी भी वे इसे हकीकत में बदलने से दूर हैं। इन कंपनियों का आरंभिक प्रयास यह है कि हमें पृथ्वी पर जिन चीजों की जरूरत है, उनके लिए हम ऐसी प्रणालियों का विस्तार बाद में करें। पहले हम उन चीजों के लिए तकनीक बनाएँ जिन्हें हम चाँद पर ही इस्तेमाल करना चाहते हैं, भविष्य में अंतरिक्ष अन्वेषण करने की दृष्टि से।


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में डॉ. भारत खुशालानी की रचनाएँ