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कविता

अनुपस्थिति

विनीता परमार


मेरे न होने पर
लाल स्याही से
लगाया अनुपस्थित
फिर, कोशिश करते होंगे

अतीत को मिटाने की
पता है, जमींदोज
अतीतों की खुदाई में
भी मिल जाती है
कभी एक चूड़ी, एक चावल
या चित्रलिपि।


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