भारतीय व्यक्ति भारतीयता के साथ उपलब्धि का संयोजन करता है, तो यह सहज
वृत्यानुरूप ही है। समष्टि के प्रति औदात्त्य-औदार्य तभी आता है, जब व्यक्ति
का वर्तमान सुरूप और सुदृढ़ हो चुका हो। जब लोग आज के संघर्षों से दो-चार हो
रहे हों, तो वे अपने संकीर्ण अतीत से उसी तरह चिपकते हैं, जिस तरह वानरी अपने
मृत शिशु का आलिंगन करती है।
सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर का जन्म भारत में हुआ था। और वे अपना
नोबल-पुरस्कार-योग्य विज्ञान-कर्म लगभग बीस की वय से पहले ही पूरा कर गए थे।
उनकी प्रतिभा का इससे बेहतर साक्ष्य क्या होगा कि उनको आज हम आइंस्टाइन और
हॉकिंग-जैसे वैज्ञानिकों के बीच की सेतु-पीढ़ी के रूप में याद रखते हैं।
चंद्रशेखर ने तारों की मृत्यु के बारे में हमें अद्भुत बातें बताईं। ऐसी बातें
जो पहले अज्ञात थीं। उनका शोध तारों की मृत्यु के संदर्भ में था। कि किस
द्रव्यमान का तारा कैसे मरता है। सूर्य कैसे मरेगा ? सूर्य से छोटे तारे किस
तरह समाप्त होंगे ? और वे कैसे अपनी इहलीला त्यागेंगे, जो सूर्य से कई-कई गुणा
बड़े हैं ?
चंद्रशेखर और उनके तारक-ज्ञान पर हम विस्तार से बात करेंगे। लेकिन अभी इतना
जानना हर पढ़े-लिखे भारतीय जिज्ञासु के लिए जरूरी है कि सभी तारे एक ही तरह से
नहीं मरते। जो बहुत बड़े और विशालकाय द्रव्यमान वाले हैं, वे फटकर शानदार अंदाज
में जीवन को विदा कहते हैं। आसमान में एक जोर का धमाका होता है और इन विशाल
तारों का चूरा चारों ओर में बिखर जाता है। इस विस्फोटित तारे में ज्योति इतनी
होती है कि दिन में भी दिखाई देती है। इसे विज्ञान सुपरनोवा कह कर पुकारता है।
लेकिन क्या सूर्य की मृत्यु भी इसी प्रकार होगी ? क्या वह भी सुपरनोवा बनेगा ?
नहीं। सूर्य का द्रव्यमान इन विशाल तारों की तुलना में बहुत कम है। सो वह
फूलते-फूलते एक दिन लाल दानव बन जाएगा और उसमें बुध-शुक्र-पृथ्वी समा जाएँगे।
तदुपरांत उसकी बाहरी परतें छिलकों-सी अंतरिक्ष में नीहारिका बन कर बिखर जाएँगी
और भीतरी हिस्सा एक श्वेत वामन तारे में तब्दील हो जाएगा। एक सफेद बौना। लेकिन
जिसका घनत्व बहुत-बहुत अधिक होगा।
कौन से तारे फट कर मरेंगे और कौन से सिकुड़ कर अंततः निस्तेज मृत्यु को प्राप्त
होंगे, यही हमें चंद्रशेखर बताते हैं। सूर्य का लगभग ड्योढ़ा या उससे अधिक का
द्रव्यमान तारों को विस्फोटक मृत्यु देगा; उससे कम द्रव्यमान उन्हें सिकोड़ते
हुए बुझा देगा।
सूर्य का ड्योढ़ा द्रव्यमान साहेबान ! यही चंद्रशेखरीय सीमा या चंद्रशेखर लिमिट
है ! यही हमारे वैज्ञानिक का खगोल को सबसे बड़ा योगदान है !
सूर्य का जनाजा जोर-शोर से नहीं निकलेगा; सूर्य तारक-समाज में बहुत साधारण
ज्योतिष्क है ! हमारे लिए चाहे वह जीवन का स्रोत हो, लेकिन ब्रह्मांड में उसकी
कोई उच्च प्रतिष्ठा नहीं।