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लेख

शनि और बृहस्पति की रंगीन छटाएँ

स्कंद शुक्ल


छटा अनोखी खिल रही, शृंगारक यह कौन,
गुरु के कुंतल नील हैं, शनि के सिर षट्कोण।

ध्रुव केवल पृथ्वी पर ही तो नहीं हैं। अन्य सात ग्रहों के भी हैं। जिनमें से कुछ के समीस्थ चित्र हम तक अंतरिक्ष-यानों ने पहुँचाए हैं। इन्हें देखकर अनेक प्रश्न, अनेक भावनाएँ, अनेक कल्पनाएँ आकार लेने लगती हैं। वैज्ञानिक जगता है बुद्धि का, कवि निद्रामग्न हो जाता है।

बृहस्पति को हम पट्टियों से भरे एक नारंगी-पीले ग्रह के रूप में जानते हैं। वह हाइड्रोजन-हीलियम का विशाल दानव है। उसपर गैसें आंदोलित हैं, बहुत ऊपर-नीचे हो रही हैं। उस पर तूफानों की आवाजाही है। लेकिन जूनो अंतरिक्ष-यान हमें बताता है कि उसके ध्रुव नीले हैं। जी हाँ, नीले। उनपर एक अजब नीलिमा छाई है। समीप से तरह-तरह की डिजायन वाले नीली आकृतियाँ बृहस्पति के ध्रुवों पर नजर आती हैं। अद्भुत आभा, अपरिमित सौंदर्य !

और फिर उसके आगे बढ़ने पर शनैश्चर के शीश के क्या कहने ! उसने तो एक सुंदर षट्कोण धारण कर रखा है। रंग उसका बदलता रहता है। कभी नीला, कभी सुनहरा। चित्र जिसके हमें पहले वॉयजर अंतरिक्ष-यान ने भेजे थे और फिर कसीनी-हाइगेन्स ने।

बृहस्पति के दक्षिणी ध्रुव पर भी इसी तरह की नीलिमा के हमें दर्शन होते हैं। अलबत्ता शनि के दक्षिणी ध्रुव पर षट्कोण नहीं है, भँवर है। इस तरह की अद्भुत रंगबिरंगी छटाएँ देखकर हम विज्ञान से पूछते हैं कि किस कारण हमें ऐसे चित्र नजर आ रहे हैं। फिर ये हर ध्रुवीय स्थान पर क्यों नहीं ? बृहस्पति पर षट्कोण क्यों नहीं ? उसके उत्तरी-दक्षिणी ध्रुवों पर नीला रंग क्यों ? शनि पर यह षट्कोण उत्तरी ध्रुव पर ही क्यों, दक्षिण पर क्यों नहीं ?

सच तो यह है कि इन सभी सवालों के उत्तर हम अभी ठीक-ठीक नहीं जानते हैं। लेकिन हम जानने की प्रकिया में हैं और जान भी लेंगे। अभी इतना ही कहा जा सकता है कि इन ग्रहों के ध्रुवों पर गोल-गोल तेज चलती चक्रीय हवाओं और उनके बाहर-भीतर के अलग-अलग घनत्व के कारण ये सुंदर आकृतियाँ पैदा होती हैं। नीले रंग की आभा के पीछे सूर्य के आ रहे तमाम कणों का इन ग्रहों के चुंबकीय क्षेत्रों से टकरा कर फिर इनके वायुमंडल में दाखिल होना है। यहाँ ये सौर-कण वायुमंडलीय गैसों के परमाणुओं के एलेक्ट्रॉनों को ऊर्जा देते हैं, जिसके कारण एलेक्ट्रॉन शरारती बच्चों की तरह भीतर से बाहर की अधिक ऊर्जावान स्थिति में पहुँच जाते हैं। फिर जब वे शैतानी करके वापस भीतर लौटते हैं, तो पहले ली गई अतिरिक्त ऊर्जा को छोड़ देते हैं। यही ऊर्जा नीले प्रकाश-कण फोटॉनों के रूप में हमें नजर आती है।

आप भी बृहस्पति और शनि का सरापा देखिए ! और कुदरत की कारीगरी पर वाह-वाह कहिए !


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