ब्रह्म के आनन तें निकसे अत्यंत पुनीत तिहूँ पुर मानी राम युधिष्ठिर के बरने बलमीकिहु व्यास के अंग सोहानी बिक्रम भोजहु के गुन गाय कै भूषन पावनता जग जानी पुन्य चरित्र सिवा सरजै बरम्हाय पवित्र भई पुनि बानी।।
हिंदी समय में भूषण की रचनाएँ