प्रेतिनी पिसाचरु निसाचर निसाचरिहू,
मिलि मिलि आपुस में गावत बधाई हैं।
भैरो भूत-प्रेत भूरि भूधर भयंकर से,
जुत्थ जुत्थ जोगिनी जमात जोरि आई हैं।
किलकि किलकि के कुतूहल करति काली,
डिम-डिम डमरू दिगंबर बजाई हैं।
सिवा पूछें सिव सों समाज आजु कहाँ चली,
काहु पै सिवा नरेस भृकुटी चढ़ाई हैं।।