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कविता

बाने फहराने घहराने घंटा गजन के

भूषण


बाने फहराने घहराने घंटा गजन के,
नाहीं ठहराने राव राने देस-देस के।
नग भहराने ग्राम नगर पराने सुनि,
बाजत निसाने सिवराज जू नरेस के।
हाथिन के हौदा उकसाने, कुंभ कुंजर के,
भौन को भजाने अलि छूटे लट केस के।
दल को दरारन ते कमठ करारे फूटे,
केरा के से पात बिहराने फन सेस के।।


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