जिन फन फुतकार उड़त पहार भार, कूरम कठिन जनु कमल बिदलिगो। विषजाल ज्वालामुखी लवलीन होत जिन, झारन चिकारि मद दिग्गज उगलिगो। कीन्हो जिहि पान पयपान सो जहान कुल, कोलहू उछलि जलसिंधु खलभलिगो। खग्ग खगराज महराज सिवराज को, अखिल भुजंग मुगलद्द्ल निगलिगो।।
हिंदी समय में भूषण की रचनाएँ