कामिनि कंत सों, जामिनि चंद सों, दामिनि पावस-मेघ घटा सों। कीरति दान सों, सूरति ज्ञान सों, प्रीति बड़ी सनमान महा सों। 'भूषन' भूषण सों तन ही' नलिनी नव पूषण-देव-प्रभा सों। जाहिर चारिहु ओर जहान लसै हिंदुआन खुमान सिवा सों॥
हिंदी समय में भूषण की रचनाएँ