"मैम। इंटरवल कब होगा?" प्रांजल ने पूछा ही था कि घंटा टन-टन-टन बजने लगा।
हुर्रे की आवाज के साथ खटर-पटर, चूँ-चाँ, हू-हा की आवाजें गूँजने लगती तो
आस-पास सभी को पता चल जाता कि स्कूल में इंटरवल हो गया है। बच्चे धक्का-मुक्की
करने लगते। आगे-पीछे चलने लगते। कोई दौड़ने लगता तो कोई तेज कदमों से चलने
लगता। कक्षाओं में सिमटे हुए बच्चे इंटरवल के समय चहकने लगते।
आज भी प्रांजल ने हँसते हुए कहा - "यार तुम कितने स्लो हो। मुझे देखो। मैं
अपना टिफिन खा चुका हूँ। आज टिफिन में आमलेट था।"
बयार ने जोर से कहा - "किसी ने पूछा कि प्रांजल के टिफिन में आज क्या था?"
प्रांजल बोला - "मैं बता रहा हूँ। ताकि तुम यह सब लाओ, जो मैं लाता हूँ। तुम
भी वह खा सको, जो मैं डेली खाता हूँ।"
बयार ने प्रांजल से कहा - "चल रहने दे। हमें क्या पता कि तू कुछ लाया भी था या
झुठी-मुठी हमें बना रहा है।"
प्रांजल चिढ़ते हुए बोला - "ऐ। तू तो सबसे स्लो है। तू आज भी हरी सब्जी ही लाई
होगी या फिर टिंडा। देख हर कोई सबसे पहले अपना टिफिन फिनिश करता है। फिर इनमें
से कोई न कोई तुझसे तेरा टिफिन माँगता है।" प्रांजल जोर से हँसा और डकार लेते
हुए बाहर निकल गया।
"खाएगा? हरी सब्जी और रोटी है।" बयार ने अफरोज से कहा। अफरोज ने हाँ में सिर
हिलाया। बयार ने एक रोटी के साथ थोड़ी सब्जी निकाली और बाकी टिफिन अफरोज की ओर
बढ़ा दिया। अफरोज के पास अब दो-दो टिफिन थे। एक अपना और दूसरा बयार का।
प्रांजल मुँह-हाथ धोकर अंदर आया तो अफरोज से कहने लगा - "तू भी न यार। सिंपल
हरी सब्जी में भी तूने अपनी लार टपका दी! हद है।" अब कंवलजीत बोल पड़ा - "ओए।
परांजले। आखिर तेरी प्रॉब्लम क्या है? तेरा ये डेली का है। कोई अपना टिफिन
शेयर कर रहा है तो तुझे क्यों मिर्ची लग रही है?"
बयार बीच में बोल पड़ी - "कंवलजीत छोड़ न। चल क्लास ठीक करते हैं। इंटरवल क्लोज
हो गया है। चावला मैम आती ही होगी।" प्रांजल बयार को चिढ़ाते हुए बोला - "अब तू
ये बची हुई हरी सब्जी और रोटी टिफिन में रख ले। तेरी ये रोज की प्रॉब्लम है।"
प्रांजल ने चुटकी बजाई और अपनी सीट पर जाकर बैठ गया। यह झिक-झिक रोज का किस्सा
था। इंटरवल खत्म होने के साथ ही यह खत्म हो जाता और फिर अगले दिन इंटरवल शुरू
होने के साथ शुरू हो जाता।
आज प्रातःकालीन सभा से ही प्रांजल किसी से कुछ नहीं बोल रहा था। दूसरे और
तीसरे पीरियड के बीच के समय में बयार ने प्रांजल से पूछा - "प्रांजल क्या हुआ?
आज तेरी झिकझिक शुरू नहीं हुई है। वैसे इंटरवल होने में अभी टाइम है।" परवीन
ने प्रांजल को चिढ़ाया - "आज पेटू के पेट में चूहे तो नहीं दौड़ रहे? लेकिन
इंटरवल का वेट तो करना ही पड़ेगा।"
प्रांजल ने चिढ़ते हुए कहा - "तुमसे मतलब।" तभी हिंदी के टीचर कक्षा में आए तो
सब चुप हो गए। तीसरे के बाद चौथा पीरियड भी खत्म हुआ। इंटरवल होने का घंटा बजा
तो सब हमेशा की तरह चिल्लाने लगे।
अचानक जॉन अल्बर्ट की नजर प्रांजल पर गई। प्रांजल अपनी सीट पर चुपचाप बैठा था।
कंवलजीत ने परवीन को इशारा किया तो वह प्रांजल के पास जा पहुँची। परवीन हँसते
हुए बयार के पास आई और कहने लगी - "आज प्रांजल का टिफिन घर में ही छूट गया।
बेचारा आज भूखा ही रहेगा।"
कंवलजीत मुस्कराया - "ओह! अब समझा। ये सुबह से चुपचाप क्यों बैठा है।" अंजलि
ने कहा - "तभी मैं कहूँ कि आज सुबह से इस पेटू ने बयार को एक शब्द भी
उलटापुलटा नहीं कहा।" अफरोज धीरे से बोला - "ये हुई न बात। आज हम सब इसे अपना
टिफिन दिखा-दिखा कर खाएँगे।" कोई बयार से बोला - "हाँ। बयार। तू आज सारा हिसाब
चुकता कर ले। तू आज अपना टिफिन उसकी सीट पर ले जाकर खा। आज तो बेचारा आठवें
पीरियड तक भूखा ही रहेगा।" पीछे से आवाज आई - "डेफिनेट्ली। आज सेटरडे है।
मार्केट भी बंद है। प्रांजल को आज एक टॉफी तक नहीं मिलेगी।"
बयार हँसते हुए अपना टिफिन लेकर प्रांजल की सीट पर चली गई। प्रांजल ने आँखें
बंद कर रखी थी। वह सिर झुकाए चुपचाप बैठा हुआ था। बयार बगल की सीट पर जाकर बैठ
गई। बयार ने धीरे से कहा - "प्रांजल। मैं चार रोटियों के साथ हरी सब्जी लाई
हूँ। अचार भी है। कौन नहीं जानता कि मैं एक रोटी भी नहीं खा पाती। आज सुबह ही
जैकब ने मुझसे कह दिया था कि वह मूली के पराँठे लाया है। मैं उसका टिफिन शेयर
कर लूँगी।"
जैकब जोर से बोला - "बयार। हम सब अपना टिफिन शेयर कर सकते हैं। लेकिन इस
प्रांजल के साथ...।" बयार ने सबकी ओर देखते हुए कहा - "हम सब क्लासमेट हैं
यार। प्रांजल का टिफिन छूट गया है। यदि कल मेरा टिफिन छूटेगा तो श्योर है कि
प्रांजल अपना टिफिन मेरे से शेयर करेगा। क्या तुम सब नहीं करोगे? बोलो करोगे
न?" हरजीत बोला - "बट। ये प्रांजल...।"
बयार सबको चुप रहने का इशारा करते हुए बीच में ही बोल पड़ी - "प्रांजल ने कब
कहा कि हम अपना टिफिन उसके साथ शेयर करें। मैं अपना टिफिन शेयर कर रही हूँ।
कौन रोकेगा मुझे? अगर आज प्रांजल मुझसे मेरा टिफिन शेयर नहीं करेगा तो, मैं
समझूँगी कि वाकई वह मुझे बुरा समझता है।" यह सुनकर प्रांजल ने आँखें खोली।
अपना सिर उठाया। सबकी ओर देखा। बयार का टिफिन खोला और चुपचाप खाने लगा। दूसरे
ही क्षण सब प्रांजल की सीट के आगे आ गए। प्रांजल से अपना टिफिन शेयर करने की
होड़ मच गई।
"ये लो। मेरे टिफिन में मूली के पराँठे हैं।"
"मैं गोभी और पराँठे लायी हूँ।"
"मेरे टिफिन में ऑमलेट है।"
"आज मेरे टिफिन में भिंडी की सब्जी है।"
"मैं आलू-प्याज की सब्जी लाया हूँ।"
यह पहला इंटरवल था, जिसमें सभी ने सभी से टिफिन शेयर किया। बयार ने पहली बार
भर-पेट खाया। प्रांजल खाते-खाते हँस रहा था। अचानक वह बयार से बोला - "काश!
मेरा टिफिन हर रोज छूट जाए।" यह सुनकर सब हँस पड़े।