पूरन प्रेम को मंत्र महा पन, जा मधि सोधि सुधारि है लेख्यौ। ताही के चारु चरित्र बिचित्रनि यौं पचि कै राचि राखि बिसेख्यौ ऐसो हियो-हित-पत्र पवित्र जु आनअ-कथा न कहूँ अवरेख्यौ। सो घनआनंद जान, अजान लौं टूक कियो पर बाँचि न देख्यौ।।
हिंदी समय में घनानंद की रचनाएँ