कविता
१५ अगस्त १९४७ निशांत
हाथ धोते धोते याद आया सुबह बिना हाथ धोए खा लिया था रोटी सब्जी
सब्जी खाते वक्त याद आई थी माँ सुबह सुबह
सुबह से याद आया दादा जी बतलाते थे रात को सोया था हिंदुस्तान में सुबह पाकिस्तान में खुली थी नींद
हिंदी समय में निशांत की रचनाएँ