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कविता

जीवन
निशांत


बिस्तर पर
एक जोड़ा पैर पड़े हैं
एक जीवित व्यक्ति के

बहुत ही ऐसे कम छण आते हैं जीवन में
जब पुराने को याद करके
एक लड़का रोता है

एक बच्चा जन्म लेता है और
बुड्ढा हो जाता है
माँ है उसकी चिर यौवना

बार-बार 'समय' को याद रखने के लिए
तारीख देखना पड़ता है
पृथ्वी घूमती है
घूमती ही रहती है...


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हिंदी समय में निशांत की रचनाएँ