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					अब नींद के लिए किसे पुकारूँ 
					सिर के बीचोबीच एक दर्द 
				
					चारों तरफ टीवी, गाड़ियों और मशीनों के साथ 
					शोर अधिकारों का, कि कर्तव्यों का 
					इतना घना कि कान को आवाज नहीं सूझती 
					जैसे न सूझे अँधेरे में हाथ को गला 
					गोलियों को लक्ष्य, तलवारों को पेट 
					पिता की नरकट की कलम मेरे लिए एक लंबे फलवाले चाकू की तरह है 
					जिसे देखना उनकी अनुपस्थिति को देखना 
				
					चीजें कैसे इतने काल तक जिंदा रहती हैं पार्थ? 
					चीजें यानी बेजान? 
					हमारे भीतर जान है तो क्या उखाड़ ले रहे हैं हम? 
				
					अनंत तक जीना कोई शौक नहीं है पर कुछ आभामंडलों के बुझने से पहले 
					मैं खुद को बुझा देने की इच्छा रखता हूँ 
					मैं अभी इस युग में पैदा ही नहीं होना चाहता था 
					जहाँ आप कुछ महसूस ही नहीं करते और चेहरे या तो बहुत भावहीन हैं या बहुत क्रूर 
				
					मुझे ठीक उनसठ साल पहले पैदा होना था ताकि मैं अपने पिता का दोस्त होता 
					और उन्हें मना कर देता खुद को पैदा करने से 
					कोई युग अपने में संपूर्ण नहीं होता 
					सतयुग द्वापर और त्रेता कलियुग के ही अलग-अलग नाम हैं 
					कलियुग को बदनाम न किया जाए हमारी हरामजदगियों के कारण 
					ये इल्तिजा की उसने कल रात मेरे सपने में आकर ! 
				
					  
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					दुष्यंत और शकुंतला को लेकर मेरे मन में बहुत सारे सवाल हैं 
					किससे पूछूँ ? 
				
					असली जवाब उस मछली से मिलेगा जिस पर लगाया गया अँगूठी निगल जाने का आरोप 
					या फिर कालिदास का पुनर्जन्म लिए उस बालक से मिलने उसके गाँव चला जा सकता है 
					जिसे दिखा-दिखा कर इंडिया टीवी जैसे चैनलों की दुकान चल रही है 
				
					दुकान बोलने पर किसी ने बताया कि कल पंद्रह अगस्त है और यह दिन देश के लिए 
					बहुत महत्वपूर्ण है 
					जिस चीज में हमें यकीन न हो उसे इतना चीख-चीख कर क्यों बताते हैं हम 
					किस उल्लू के पट्ठे ने कहा था कि चिल्लाकर बोलने से झूठ भी सच हो जाता है 
					यह उसके लिए मेरा गुस्सामिश्रित सम्मान है 
					कितने दूरदर्शी होते हैं कुछ लोग!!! 
				
					मेरे भीतर साल के दो दिनों में देश के लिए बहुत कुछ करने का जोश उमड़ता है 
					और एक दिन अहिंसा करने का 
					हालाँकि अहिंसा करना हिंसा करने की तरह नहीं है 
					कि तलवारें लेकर नहीं गए, दरवाजे़ के सामने जाकर गालियाँ नहीं दीं 
					नहीं तोड़े सारे किवाड़ और नहीं उड़ाईं सबकी गर्दनें 
					लीजिए साहब! कर दी अहिंसा 
				
					बंदूकें बोनेवाले भगत सिंह का खेत स्कीम में आ गया है 
					देखिए कितनी खूबसूरत सड़कें गुजरेंगी उससे होकर 
					बंदूकों की फसल नष्ट करने का इससे अच्छा तरीका क्या होगा 
					अब दूसरी फसल ढूँढ़ो दोस्त और कोई दूसरा खेत 
					पट्टे का विकल्प भी खुला है और मेरे खेतों के लिए भी ढूँढ़ देना कोई मजूर 
					जो बाबा की मौत के बाद से ही परती पड़े हैं 
					बंदूकें कितनी बोएँगे यार, गोलियों के बीज हमसे छीनते जा रहे हैं वे 
					बीटी कपास और बीटी बैंगन की तरह जब बीटी गोलियाँ होंगी 
					तो जाकर लाइन लगाकर खरीद लाइयेगा कुछ कारतूस ताकि 
					बंदूकों की फसल का कुछ उपयोग हो सके 
				
					  
				
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					अकेला कमरे में बैठा मच्छरों से जूझ रहा हूँ 
					ये मच्छर मेरी आत्मा में काटते हैं 
					निशान ऐसा ही कि अगले जन्म तक रहेगा 
					इस हिसाब से आप आसानी से पता कर सकते हैं कि पिछले जन्म में क्या था मैं 
				
					सपने सच हो जाने के बाद जल्दी ही अनाकर्षक लगने लगते थे 
					उसे पाने के बाद जिस अगली चीज का सपना हम देखते थे 
					उसके बारे में यह मानने को तैयार नहीं होते थे कि वह भी अंतत: ऐसा ही होगा 
				
					हम जानते थे सब राज दुनिया के 
					लेकिन जीने के बहाने खोजना इतना जरूरी कि उलझाए रखते थे खुद को उसी मे 
					कोई ठोस कारण न होने के बावजूद हम सुंदरता देखते ही जाते थे 
					दैत्याकार पेड़ों में, बेढब पहाड़ों में और सुबह खिल कर शाम मुरझा जाने वाले फूलों में 
					वे मुझे निराशावादी कहते थे तो मैं समझ जाता था कि उन्होंने सुंदरता देखने की आदत डाल ली है 
					जीने के लिए एकमात्र यही आदत भी पड़ जाए तो काट सकते हैं लंबी जिंदगी 
					वरना असुंदरता तो है कदम-कदम 
					मरने के बहाने झउआ भर अभी गिना दूँ कहिए तो 
					छोड़िए साहब! मुझे निराशावादी कहिए और घर जाकर एक कप गरम ताने पीकर 
					कुछ झूठी खबरें देखिए 
					चाहें तो फिल्मी गाने सुनिए 
					कई नए-नए चैनल शुरू हुये हैं इधर गानों के 
					किसी पर तो आपकी पसंद का गाना आएगा 
					लेकिन सावधान ! 
					अगर कहीं नहीं मिला तो फिर आखिरकार टीवी बंद करते हुए मेरी ही बात गूँजेगी आपके 
					मन में 
				
					नमक का दारोगा नाम की कहानी सबसे नापसंद है मुझे 
					जिसमें खलनायक की दया से जीतने का अभिनय करता है नायक 
					मेरे आदर्श लोग जब मेरा दिल दुखाते हैं तो ज्यादा टूटती हैं उम्मीदें 
					लगता है गोया अब किसके पास जाया जाए 
					किससे कहा जाए कि आदरणीय! 
					सिर्फ आपसे ही बची है अब उम्मीद!! 
				
					  
				
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					तो क्या समझा जाए इस युग में आदर्श की अवधारणा सिर्फ प्राइमरी पाठशाला के लिए सुरक्षित है? 
					वायुमंडल में कितना कुछ मौजूद है बिना कीमत और आक्सीजन की तो बात ही क्या 
					सारी परिभाषाएँ यथास्थान रखी हुई हैं 
					सिर्फ आदर्श की कोई आदर्श परिभाषा नहीं है 
					जिस तरह नहीं है गुलाबजामुन में गुलाब 
					पुलों में सीमेंट, प्रेम में सहिष्णुता और मृत्यु में मुक्ति 
					आप चुप रहेंगे तो भी आपकी सोच की लहरें मुझ तक आती रहती हैं श्रीमान! 
				
					आप एक समय मेरे आदर्श रहे हैं 
					अब आपके परदे उघड़ने के बावजूद मैं आपको देख कर सलाम में हाथ उठाता हूँ 
					तो यह मेरा बड़प्पन नहीं लालच है 
					माँ के सैकड़ों बार कहने के बावजूद खंडित मूर्तियों को जल्दी नहीं करता विसर्जित गंगा 
					में 
					आपका खंडित होना दरअसल हमारी बराबरी में आना है 
				
					अब बताइए क्या हाल चाल? 
					बाल बच्चे? कहानी कविताएँ आलोचनाएँ सब चकाचक? 
					बालों का गिरना कम हुआ? 
					पेट अब भी खराब ही रहता है या गरम पानीवाले नुस्खे ने कुछ फायदा पहुँचाया है? 
					तीन मुँहों के साथ एक पेट मैनेज करने में परेशानी नहीं होती आपको श्री ब्रह्मालोचक 
					जी? 
				
					  
				
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					हमारे भीतर बहुत कुछ था जिसे समझना बचा था अभी 
					देखा देखी पाप और देखा देखी पुण्यवाले कहावत को समझना इतना आसान भी नहीं था 
					बंद रेलवे के फाटकों के नीचे से साइकिल घसीटकर पार करते हम जान पर खेलते थे 
					तो इसका मतलब यह नहीं था कि कोई अंग्रेज इंतजार कर रहा था हमारा 
				
					अपनी जिंदगियों से ऊबे हुए हम लोग चाहते थे कोई रोमांच 
					कविताएँ धीरे-धीरे नेताओं की तरह होती जाती थीं या देश की तरह 
					उनसे कोई उम्मीद नहीं की जाती थी लेकिन उन्हें वोट दिया जाता था 
					वे झूठे वादे करती थीं और कुछ देशभक्त भगवा पहन कर हाथों में अस्त्र ले उतर आए 
					थे 
				
					कविता अपने कविताभक्तों के एहसानों तले दबती जा रही थी 
					जैसे देश दब रहा था देशभक्तों के एहसानों तले 
					मुझ पर सवार होकर विश्वविजय की आकांक्षा रखनेवाले 
					बहादुर और पराक्रमी लोगों को मालूम नहीं था मेरे अस्तित्व का मूल्य! 
				
					मैं एक छोटा सा पुर्जा हो सकता हूँ आपकी बड़ी मशीन का 
					लेकिन मेरे न होने पर टूट जाएगा आपका विश्वविजय का सपना ! 
				
					मेरी गति से है आपकी गति 
					मेरे शौर्य को कहा जाता है आपका शौर्य 
					मेरी मेहनत आपका सौभाग्य... वाह हिनहिनहिन हिनहिन 
					ये व्यंग्य की हिनहिनाहट है जिसे समझने के लिए जरूरी है 
					कि आप एक बार मेरी जगह आकर खड़े हों और मैं आप पर सवारी करूँ 
					सिकंदर महान ! 
				
					  
				
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					अस्पतालों या श्मशानों में होनेवाली विरक्ति हमें बीच-बीच में घेरती रही 
					लेकिन हम बुद्ध नहीं थे बल्कि वह दिन था बुध 
				
					अगर आप समझ नहीं सकते इस असंगत पंक्ति का अर्थ तो ये समझिए 
					दुख व्यक्त करने या खुशी मनाने की फुरसत मिल सकती है सिर्फ इतवार को 
				
					ऐसा सोमवार से शनिवार तक तो लगता ही है 
					अस्पताल के अपने मेडिकल स्टोर से दवाइयाँ खरीदने पर 15 प्रतिशत की छूट थी 
					ये 50 प्रतिशत भी होती तो हम क्यों लेते यार 
					दवाइयाँ क्या जमा करने वाली चीज थीं? 
					यही भाव जाग जाए आपके भीतर सोने, जमीन या शेयर को लेकर 
					तो गांधीजी की एकदम नान-प्रेक्टिक्ल बात भी सही हो जाए आज के कलियुग में 
					कलियुग से आप तो परिचित ही होंगे 
					ये आज के समय को कहते हैं जिसने लंबे समय से दाढ़ी नहीं बनाई 
					इस कलियुग में सबके कांसेप्ट गड़बड़ हो गए हैं 
					क्या आपको नहीं लगता माई लार्ड 
					कि अगर हम दवाइयों की तरह इकट्ठा करने लगें जमीनें, गहने और पैसे 
					तो कलियुग नाम सुनने में माधुरी दीक्षित जितना मीठा लगने लगेगा 
					सोने और संतरे में एक समानता है और एक ही फर्क 
					दोनों से दाँत या जीवन खट्टा हो सकता है और दूसरे का जूस निकालकर जब चाहें पी सकते हैं 
				
					  
				
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					तटस्थता! 
					हमारे युग को एक शब्द में व्यक्त करने के लिए यह सबसे कारगर है 
					बहसें, विरोध, धरने, जुलूस सब कुछ बहुतायत में यहाँ मिलेगा आपको 
					सिवाय कुछ ऐसी फालतू चीजों के 
					जो प्रयोग न किए जाने के कारण एपेंडिक्स की तरह खत्म हो गयी हैं 
				
					चेहरे का नमक और आँख का पानी ऐसी ही चीजें हैं 
					चेहरे का नमक अब पैकेट में आता है और उसमें आयोडीन भी है 
					आपकी पीढ़ियों को नहीं होगा अब घेंघा, बधाई हो ! 
				
					अगर नमक की कमी से निम्न रक्तचाप हो जाए तो इस बात की खुशी मनाइए 
					कि नहीं हुआ गले में शंख निकलनेवाला वह खतरनाक रोग 
					आँख का पानी अब बोतल में है 
				
					दिक्कत यह नहीं है यार 
					समस्या इतनी ही कि जब प्रिंट रेट है बारह तो मैं तुम्हें पंद्रह क्यों दूँ 
					अरे साहब, तीन रुपए ठंडा करने का चार्ज है 
					पानी को ठंडा करने का भी पैसा लगता है यार यहाँ तो 
					और देखो लोगों का खून फ्री फंड में ठंडा हुआ जा रहा है 
					अधिक दिनों तक जिंदा रहने की दवा का नाम बताया मैंने आपको सबसे उपर 
					उसे लेकर आप रात को चैन की नींद सो सकते हैं 
				
					अगर आप किसी कला से जुड़े हैं तो तटस्थता आपके लिए आपके कला अभ्यास की तरह 
					है 
					जम के करिए अभ्यास और गोली मारिए दुनिया को 
					हरमुनिया बजाकर 
				
					  
				
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					आपके वंश को चलाए रखने की जद्दोजहद में जब मारी गईं आपकी दो बेटियाँ गर्भ में 
					उसी वक्त कल्पना चावला की मौत हुई थी 
					एक अनजान श्राप था कि अंतरिक्ष में जानेवाली एक और लड़की को 
					जिस दिन गर्भ में ही मार दिया जाएगा 
					उसी दिन मौत होगी वहाँ पहुँचनेवाली पहली लड़की की 
				
					  
				
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					यार चेतक! 
					लड़ाइयाँ तो घोड़े ही लड़ते हैं और नाम किसी और का होता है 
					तुम तो फिर भी प्रसिद्ध हो 
					रण बीच चौकड़ी भर-भर कर तुम निराले बन गए थे 
					इस बाबत कम से कम एक कविता है और कुछ किंवदंतियाँ भी 
				
					लेकिन मेरे उपर कुछ नहीं लिखा गया 
					जबकि मेरे मरते ही टूट गया था उस महान योद्धा के विश्वविजय का सपना 
					तो मेरी कुछ तो कीमत होगी बास ! 
				
					अब इस कवि को देखो 
					मेरे उपर तभी कविता लिखने की सुध आई इसे 
					जब इसके उपर सवार होकर किसी ने जीतने की कोशिश की दुनिया को 
					कविताओं की भी हालत घोड़ों जैसी हो गयी है दोस्त 
					थोड़े सूखे चने खिलाकर इतनी विराट उम्मीदें पाल रहे हैं वे 
					कि खड़े-खड़े सोने में भी डर लगता है अब तो 
				
					  
				
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					इस युग में जो तत्व सबसे तेज खत्म हो रहा है 
					वह न पानी है न तेल 
					इनके तो कुएँ हैं 
					सबसे तेजी से खत्म हो रहा है धैर्य 
					सबसे तेजी से चुक रही है सहनशक्ति 
					सबसे तेजी से गल रही है सहिष्णुता 
					देश के सबसे बड़े विवाद कार्टूनों के मोहताज हो गए हैं 
				
					किसी से दोस्ती टूट जाने पर नहीं छपती हैं रचनाएँ 
					प्यार का इजहार न माने जाने पर फेंके जाते हैं तेजाब 
					पृथ्वी किस वजह से बची हुई है अब तक यह एक अज्ञात तथ्य था 
					अब क्यों पृथ्वी के खत्म होने की भविष्यवाणियाँ बार-बार हो रही हैं 
					यह भी काफी लोगों के समझ के बाहर की बात है 
				
					हे शैतान! अब भी? 
					कुछ लोगों को प्रश्नों के उस पार भेजा जा चुका है 
					कुछ औरों को भेजा जाना है वहाँ जल्दी ही 
					वहाँ जाने के बाद उन पर कोई बात नहीं की जा सकती 
					उनकी सिर्फ पूजा की जा सकती है और दिखाया जा सकता है धूप 
					भरी दुपहरी में! 
				
					  
				
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					हे मेरे समय के महान कवियो! 
					कविता का प्रयोग कर मत बचाइए सभ्यताओं को 
					उन्हें वैसे भी नष्ट होना है 
					कुछ कर सकें अपनी रचनात्मकता से तो इतनी ही शक्ति दें 
					कि वे कह सकें आम को आम 
					घात को घात 
					हरामखोरी को हरामखोरी 
					भाषा में सौंदर्य नष्ट होने की कीमत पर भी। 
				
					  
				
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					मेरे मित्र 
					ये दोतरफा रास्ता अब नहीं चलेगा 
					कि इसी दुनिया में रहते हुए भी तुम अभिनय करो ऐसा 
					कि तुम्हें पता ही नही कि मेरी आत्मा पर कैसे क्षुद्रताओं के कोड़े बरसाए जा रहे हैं हर 
					पल 
				
					ये वही आत्मा है दोस्त 
					जिसके बारे में तुम्हारा कहना था कि ये दूध से भी उजली है 
					तुम्हें आगे आना होगा या फिर अपने खाँचे तय करने होंगे 
					तुम या तो मेरे दोस्त रह सकते हो 
					या फिर टिकट खिड़की पर बैठे उस आदमी की तरह 
					जो मुस्करा कर मुझे देखता है 
					हम अदृश्य गंदगियों से भरे समय में साँस ले रहे हैं 
				
					दोस्ती में डिप्लोमेसी नहीं चलेगी 
					अब तक मेरे मित्र 
					या तो मेरे बराबर में खड़े रहो 
					या फिर अपनी कुर्सी सफर में भी चिपकाए चलो अपने पिछवाड़े से 
					यहाँ एक घोषणा कर दूँ सबकी जानकारी के लिए 
					मेरे घर में न कुर्सियाँ मेज हैं न पलँग 
					मैंने पूरे घर में सिर्फ भदोही से मँगाया एक कालीन बिछा रखा है 
				
					नोट : बुसिफालस सिकंदर के घोड़े का नाम था  
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