उसे तब और ज्यादा इश्क मिलेगा जब महुआ कम चुए और सराँय में शराबों की कमी हो जाय इसीलिए वो संझा माई को रोज मनाती है उसे पता है शराबें इनसान से मुहब्बत छीन लेती हैं
हिंदी समय में नीरज पांडेय की रचनाएँ