शहर से दूर है घर अखबार थोड़ी देर से आता है
खबरें वही रहती हैं
आपको पहले पिरवाती हैं हमारा थोड़ी देर से पिराता है!
हिंदी समय में नीरज पांडेय की रचनाएँ