hindisamay head


अ+ अ-

बाल साहित्य

नया सवेरा लाना तुम

त्रिलोक सिंह ठकुरेला


टिक टिक करती घड़ियाँ कहतीं
मूल्य समय का पहचानो।
पल पल का उपयोग करो तुम
यह संदेश मेरा मानो।।

जो चलते हैं सदा, निरंतर
बाजी जीत वही पाते।
और आलसी रहते पीछे
मन मसोस कर पछताते।।

कुछ भी नहीं असंभव जग में,
यदि मन में विश्वास अटल।
शीश झुकाएँगे पर्वत भी,
चरण धोएगा सागर­जल।।

बहुत सो लिए अब तो जागो,
नया सवेरा लाना तुम।
फिर से समय नहीं आता है,
कभी भूल मत जाना तुम।।


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में त्रिलोक सिंह ठकुरेला की रचनाएँ