नभ के तारे कई देखकर
	एक दिन बबलू बोला।
	अंतरिक्ष की सैर करें, माँ
	ले आ उड़न खटोला।।
	कितने प्यारे लगते हैं
	ये आसमान के तारे।
	कौतूहल पैदा करते हैं
	मन में रोज हमारे।।
	झिलमिल झिलमिल करते रहते
	हर दिन हमें इशारे।
	रोज भेज देते हैं हम तक
	किरणों के हरकारे।।
	कोई ग्रह तो होगा ऐसा
	जिस पर होगी बस्ती।
	माँ, बच्चों के साथ वहाँ
	मैं खूब करुँगा मस्ती।।
	वहाँ नए बच्चों से मिलकर
	कितना सुख पाऊँगा।
	नए खेल सीखूँगा मैं,
	कुछ उनको सिखलाऊँगा।।