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बाल साहित्य

पापा, मुझे पतंग दिला दो

त्रिलोक सिंह ठकुरेला


पापा, मुझे पतंग दिला दो,
भैया रोज उड़ाते हैं।
मुझे नहीं छूने देते हैं,
दिखला जीभ, चिढ़ाते हैं।।

एक नहीं लेने वाली मैं,
मुझको कई दिलाना जी।
छोटी सी चकरी दिलवाना,
माँझा बड़ा दिलाना जी।।

नारंगी और नीली, पीली
हरी, बैंगनी, भूरी, काली।
कई रंग, आकार कई हों,
भारत के नक्शे वाली।।

कट जाएँगी कई पतंगें,
जब मेरी लहराएगी।
चंदा मामा तक जा करके
भारत­ध्वज फहराएगी।।


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