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कविता

विपरीत क्रिया

यदुवंश यादव


तुम्हारा जाना ठीक उस विपरीत क्रिया की तरह है
जैसे दो चुंबक
अलग ध्रुव
दूर होते हुए
मिलने को तत्पर
उस दिन तुम मेरे
सबसे करीब होगी
जब तुम दूर होगी।
जाना एक क्रिया हो सकती है
लेकिन मेरे लिए
प्रेम है
जिसमें तुमको पा लेना
मेरी अंतिम इच्छा
ठीक वैसे ही
जैसे नदी का जाकर मिलना समंदर में
हो जाना खारा
नमक
जो गला सके
मुझे
तुममें।


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