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कविता

सत्ता परिवर्तन

यदुवंश यादव


चुनाव के बाद
बदल जाती है सरकार
कुर्सी रहती है वही
बस बैठने वाला निजाम बदल जाता है
बदल जाते हैं योजनाओं के नाम
नई लग जाती हैं होर्डिंग्स
चौराहों और जिला कार्यालयों पर
बदल जातें हैं ठेकेदार और दलाल
पर नहीं बदलते ये पेशे
बदल जातें हैं झंडे
जो लगे होते हैं चमकदार सफेद कारों पर
अगर नहीं बदलती है तो बस जनता
रह जाती है वहीं के वहीं
फिर से पूरे पाँच साल ठगे जाने के लिए।


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