जिस दिन मैंने अपना कारोबार करने का फैसला किया तो यह तय है कि ख़ामोशी बेचने
के लिए एक दुकान खोलूँगा। इस दुकान में सिर्फ एक छोटा सा कामचलाऊ काउंटर होगा,
बाकी सभी जगह शेल्फ ही शेल्फ होंगी जिन पर आकर्षक पैकिंग में भिन्न भिन्न
प्रकार की खामोशियाँ सजाई गई होंगी। हालाँकि सभी पैकिंग के अंदर रखे माल की
बुनियादी सामग्री एक ही होगी पर उनके प्राप्ति स्रोत, मिलावट के अनुपात, बनावट
और गंध में अंतर होने के कारण भिन्नता भी होगी।
सागर की ख़ामोशी देखने में हरापन लिए हुए नीले रंग की लुभावनी सूरत में होगी
जिनके अंदर से जहाजों और पनडुब्बियों का शोर एक पेटेंटेड वैज्ञानिक विधि से
फ़िल्टर कर के निकाल दिया जाएगा... हाँ, मेडुसा की घंटियों की झंकार बगैर किसी
छेड़छाड़ उसमें ज्यों की त्यों छोड़ दूँगा।
जंगलों की खामोशी की भी हरे रंग की एक खूबसूरत पैकिंग होगी पर इसका ध्यान
रखूँगा कि इसमें पक्षियों की गुनगुनाहट वैसी बनी रहे जैसी जंगलों में होती है…
ये जंगलों की खामोशी के अविभाज्य अंग जो हैं।
फ्रिज के नीचे सजा कर सफेद रंग की पैकिंग में हिमाच्छादित पर्वत शिखरों और
दोनों ध्रुवों की ख़ामोशी बेचने के लिए रखूँगा।
इस से उलट जहाँ तक तपिश भरी ख़ामोशी की बात है, गहरी नींद में निश्चिंत होकर
सोए हुए बच्चों और गहन समझदारी और साझेपन से जुड़े हुए पति पत्नी के जोड़ों की
ख़ामोशी भी वहाँ उपलब्ध होगी।
मेरी दुकान में "खुद कर के देखने" को प्रोत्साहित करने वाली किट भी बेचने को
रखी जाएगी... जैसे कभी न बजने वाली घंटी, कार का टूटा फूटा हॉर्न, बगैर बारूद
वाले तोप के गोले, गालियों और चीखों के कई संकलन जिनके जुड़े हुए पन्ने कभी काट
कर पढ़ने लायक नहीं बनाए गए।
दुकान का नियम होगा कि ग्राहक आए, मुस्कराहट बिखेर कर बगैर मुँह से एक शब्द भी
बोले हुए अपनी पसंद की चीज की ओर इशारा करे... फिर सामने रखे मखमली रबर पैड पर
पैसे ऐसे निकाल कर रखे कि सिक्कों की झनझनाहट वे अपने अंदर सोख लें।
हाँ, एक चीज़ मेरे यहाँ नहीं मिलेगी... मेरी दुकान के अलावा ग्राहक जहाँ कहीं
चाहेगा उसको मिल जाएगी, और वह भी जेब से एक कौड़ी निकाले बगैर... और वह होगी
कब्रिस्तानों की अंतिम और चरम खामोशी।