630 रुपये के मेरे होटल के कमरे में एल।सी।डी। टीवी थी, रजाई नहीं। अपनी चादर को पाँव जितना फैलाने की कोशिश में बंद एल।सी।डी। निहारते मैं सो गई।
कुछ समय के लिए मैं देश हो गई।
हिंदी समय में अंकिता आनंद की रचनाएँ