'क्या आप जानते हैं? आपके घर में फ़र्श के ऊपर, कालीन के नीचे, टोयलेट के पीछे, नसों को खींचे, मुट्ठियाँ भींचें, आप पर हमला करने को तैयार हैं सैकड़ों, लाखों, करोड़ों कीटाणु?'
जी? जी, नहीं। रेंगते वक्त इन बातों का खयाल ही कहाँ रहता है?
हिंदी समय में अंकिता आनंद की रचनाएँ