मेरे भीतर एक आग है, जो बुझती नहीं है। तो फिर वह मुझे जला क्यों नहीं डालती है?
	इस आग के रंगीन धुएँ में खुशबू है। उस धुएँ में पुष्पमुखी आकृतियाँ चमकती हैं।
	सौन्दर्य के तूफान में बुद्धि को राह नहीं मिलती। वह खो जाती है, भटक जाती है। यह पुरुष की चिरंतर वेदना है।
	मैं धर्म से छूटकर सौन्दर्य पर और सौन्दर्य से छूटकर धर्म पर आ जाता हूँ। होना यह चाहिए कि धर्म में सौन्दर्य और सौन्दर्य में धर्म दिखाई पड़े।
	सौन्दर्य को देखकर पुरुष विचलित हो जाता है। नारी भी होती होगी। फिर भी सत्य यह है कि सौन्दर्य आनंद नहीं, समाधि है।
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	अस्तमान सूर्य होने को मत रुको। चीजें तुम्हें छोड़ने लगें, उससे पहले तुम्हीं उन्हें छोड़ दो।
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	दुनिया में जो भी बड़े पद या काम हैं, वे लाभदायक नहीं हैं और जो भी काम लाभदायक है, वह बड़ा नहीं है।
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	हट जाओ, जब तक लोग यह पूछते हैं कि हटता क्यों है। उस समय तक मत रुको, जब लोग कहना शुरू कर दें कि हटता क्यों नहीं है?
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	सतत चिंताशील व्यक्ति का मित्र कोई नहीं बनता।
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	अभिनंदन लेने से इनकार करना, उसे दोबारा माँगने की तैयारी है।
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	मित्रों का अविश्वास करना बुरा है, उनसे छला जाना कम बुरा है।
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	लोग हमारी चर्चा ही न करें, यह बुरा है। वे हमारी निंदा किया करें, यह कम बुरा है।
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	स्वार्थ हर तरह की भाषा बोलता है, हर तरह की भूमिका अदा करता है, यहाँ तक कि वह निःस्वार्थता की भाषा भी नहीं छोड़ता।
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	जैसे सभी नदियाँ समुद्र में मिलती हैं, उसी प्रकार सभी गुण अंततः स्वार्थ में विलीन होते हैं।
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	जब गुनाह हमारा त्याग कर देते हैं, हम फक्र से कहते हैं कि हमने गुनाहों को छोड़ दिया।
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	विग पहनने का चलन लुई 13वें के समय से हुआ, क्योंकि वह खांडु था।
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	सूर्य की खाट में भी खटमल होते हैं।
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	ऋषि बात नहीं करते, तेजस्वी लोग बात करते हैं और मूर्ख बहस करते हैं।
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	जवानों को मारपीट से, ताकतवर को सेक्स से और बूढों को लोभ से बचना चाहिए।
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	विद्वानों और लेखकों के सामने सरलता सबसे बड़ी समस्या होती है।
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	घर में रहनेवाली औरत उस मछली के समान है, जो पानी में है। यही देखिए न कि औरत जब दफ्तर में होती है, उसके बात करने का ढंग औपचारिक होता है। दफ्तर से बाहर आते ही वह अधिकार से बोलने लगती है।