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कविता

वे

नरेंद्र जैन


एक दरवाजा
वहाँ खुला हुआ है
उन्होंने एक दरवाजा
मेरे लिए खुला रखा है
वे
सब
एक दरवाजे के पीछे खड़े
मेरा
इंतजार करते हैं
वे सोचते हैं
मैं कभी खुले दरवाजे में
प्रवेश करूँगा
वे सब
बेहद चालाक हैं
उन्होंने एक दरवाजा
मेरे लिए
खुला रख छोड़ा है


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हिंदी समय में नरेंद्र जैन की रचनाएँ



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