जैसे उसने
ढूँढ़ लिया हो किराए का घर
और वह घर
उसे पसंद आ गया हो
इस तरह थकान आती है अपने
माल-असबाब के संग
और जिस्म में घर कर जाती है
हम अंतरंग पड़ोसी की तरह रहने लगते हैं
थकान को वहाँ रहते हुए देख
मैं कभी-कभार पूछता रहता हूं
उसकी खैरियत
वह मेरा शुक्रिया अदा करती है
और पूछती है मुझसे मेरे हालचाल
मेरे स्नायुतंत्र, मांसपेशियों
रक्त-संचार
माथे की दुखती रग
निद्रा
और मेरे दुःस्वप्नों से गहरा लगाव है उसे
हालत ये है कि
जिस्म की आदत में शुमार हो गई है थकान
उसका होना
यहाँ किसी दोस्त के होने से कम नहीं