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कविता

वो और वो

अवनीश गौतम


वो कपड़ों की तरह उसे पहनती है
वो बिस्तर की तरह उसे बिछाता है
वो खुशबू की तरह सूँघती है
वो धुएँ की तरह उसे उड़ाता है
वो बालों की तरह उसे सुलझाती है
वो जालों की तरह उसे उलझाता है
वो हजार तरह की शिकायतें करती है
तो वो दो हजार तरह के ताने देता है
पर सच्ची बात तो यह है कि
वो प्यार करना जानती है
और वो प्यार करना चाहता है


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