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कविता

आपके जैसा
अवनीश गौतम


1.

आपको गुस्सा अच्छा नही लगता
लेकिन आपको गुस्सा आता है
आपको घिन अच्छी नहीं लगती
लेकिन आपको घिन आती है

मैं आता हूँ तो
आपको गुस्सा आता है
मैं आता हूँ तो
आपको घिन आती है
वैसे आती है तो आए
मेरी बला से
मैं तो अब आता हूँ
आपका एक एक
दरवाजा तोड़ते हुए
आपका एक एक
ताला तोड़ते हुए

मैं तो अब आता हूँ
ये घर मेरा है और
अब मैं इसमें रहने आता हूँ

2.

आप कहते हैं
मैं प्यार की बात नहीं करता
आप पर भरोसा नही करता
तो आप ही बताएँ
आप पर भरोसा कैसे किया जाए
आपने प्यार से मुझे शक्कर कहा और अपने दूध में घोल कर मुझे गायब कर दिया
गायब क्या कर दिया आप तो मुझे पी ही गए
फिर आपने मुझे नमक कहा और
अपनी दाल में डाल कर मुझे गायब कर दिया
गायब क्या कर दिया आप तो मुझे खा ही गए
आपको धोखा पसंद नहीं
लेकिन आपको धोखा देना आता है
मुझे भी धोखा देना पसंद नहीं
लेकिन मैं भी सीख लूँगा
सब्र कीजिए एक दिन
आपको वैसा ही प्यार करूँगा
जैसे आपने मुझे किया


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