जैसे मैं तुझसे प्यार करता हूँ और तुम तक आता हूँ हर बार
तुम मुझसे प्यार करो और मुझे भूल जाओ
तुम मुझे वैसे ही किनारे से लौटा दो जैसे समुद्र से उठती लहरें किनारों को छूकर लौट आती है।
हिंदी समय में कुमार मंगलम की रचनाएँ