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कविता

वसंत यहाँ जल्दी आता है

कुमार मंगलम


शीघ्रता में भी एक लय है
जल्दी-जल्दी हो जाने का लय
वसंत के आते ही
सभी पीले होने लगते हैं

पीले पात, पीले गात

पीलेपन की यह सामूहिकता
शीघ्रता की लय में घटित होती है

कुछ पत्ते पीले होकर डाल से झूलते रहते हैं
और कुछ पीलेपन की निस्तेज छटा के साथ
धरती से आ मिलते हैं।

शाम में डूबता सूर्य शीघ्रता के क्रम में
पीला होता है और फिर
काली और लंबी रात में तब्दील हो जाता है

अचानक पीलेपन का सौंदर्य मोहने लगता है
लेकिन यह भी शीघ्रता में घटित होकर
लंबी उदासी या ऊब पैदा करता है।


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