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कविता

कवियों से मुलाकात

यूनिस डी सूज़ा

अनुवाद - ममता जोशी


कवियों से मिलते समय
मेरा चित्त व्याकुल हो जाता है
कभी उनके मोजो़ं के रंग पर ध्यान जाता है
कभी लगता है बाल नकली है
विग पहना है
आवाज में बर्रे के जहरीले दंश
पूरा माहौल सीलन की नमी से बोझिल सा लगता है
बेहतर होगा उनसे कविताओं में ही मिला जाय
जैसे धब्बों से भरी चित्तीदार ठंडी उदास सीपियाँ
जिनमें सुनाई देती है
सुदूर समुद्र की सुकून भरी आवाज


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