झांसी की रानी
(पर्दा खुलता है। रानी लक्ष्मीबाई अपनी गद्दी पर विराजमान है।)
उद्घोषक: झांसी की रानी, महारानी लक्ष्मीबाई की जय हो।
रानी: बोलो उद्घोषक, आज किसका मसला हल करना है?
उद्घोषक: महारानी, ज़मीन के झगडे को लेकर दो शख्स आये हैं।
रानी: उन्हें अन्दर भेजो।
(उद्घोषक चला जाता है, दो शख्स आते हैं।)
पहला शख्स: महारानी की जय हो। महारानी, मैं गुहार लगाना चाहता हूँ।
रानी: कैसी गुहार?
पहला शख्स: (दूसरे शख्स की ओर देखते हुए) इसने मेरी ज़मीन हड़प ली है।
रानी: (दूसरे शख्स से) ये क्या मसला है? तुमने इस व्यक्ति की ज़मीन हड़प ली है?
दूसरा शख्स: सरासर गलत, महारानी।
पहला शख्स: महारानी, मैं आज आपके समक्ष खडा ही इसीलिए हूँ कि इस शख्स ने अवैध
तरीकों से मेरी ज़मीन पर कब्जा कर लिया है। मेरे पास ज़मीन के बैनामे और
कागज़-पत्र हैं जिससे साबित होता है कि ज़मीन पर हक़ मेरा है।
दूसरा शख्स: महारानी, मैं आपके इस भव्य सदन का आदर करता हूँ। इस शख्स का दावा
निराधार है।
रानी: तुम यह कैसे कह सकते हो कि इस शख्स का दावा निराधार है?
दूसरा शख्स: मैं वर्षों से उस ज़मीन पर रह रहा हूँ। मेरे पास भी सबूत हैं कि
मैं इस ज़मीन का रखरखाव कर रहा हूँ। मैं ज़मीन के ऊपर लगा कर भी अदा कर रहा हूँ।
रानी: (पहले शख्स से) तुम अपना सबूत पेश करो।
पहला शख्स: (कागज़ रानी को देते हुए) ये ज़मीन के कागज़-पत्र हैं, महारानी। आप
देख सकती हैं कि यह ज़मीन पीढ़ियों से हमारे परिवार के पास है। इस ज़मीन के
स्व्वामित्व को लेकर कोई संदेह नहीं होना चाहिए।
रानी: (कागज़-पत्र देखते हुए) ह्म्म्म ।।। (दूसरे शख्स से) तुम?
दूसरा शख्स: महारानी, मैं इस ज़मीन के इतिहास को स्वीकार करता हूं, लेकिन मेरे
पास भी सबूत हैं। मैं लंबे समय से इस ज़मीन पर रह रहा हूं। मेरे पास भुगतान किए
गए करों की रसीदें हैं, और मैंने ज़मीन में सुधार भी किया है।
(दूसरा शख्स करों की रसीदें रानी को देता है।)
रानी: ऐसा लगता है कि हमारे पास परस्पर विरोधी सबूत हैं। मुझे इन दस्तावेज़ों
की समीक्षा करने के लिए कुछ समय की आवश्यकता होगी। मेरे मुनीम और वकील भी इनको
देखेंगे। इस बीच, क्या टीम दोनों में से कोई कुछ और कहना चाहेगा?
पहला शख्स: महारानी, मुझे सिर्फ न्याय चाहिए। मुझे मेरी जायज संपत्ति से वंचित
कर दिया गया है और इससे मुझे बहुत कष्ट हो रहा है।
दूसरा शख्स: महारानी, मैं संपत्ति के अधिकार के महत्व को समझता हूं, लेकिन
मैंने इस भूमि में बहुत निवेश किया है। यह मेरा घर है, और मैं इसे यूं ही
नहीं छोड़ सकता।
रानी: मैं कागजों की सावधानीपूर्वक समीक्षा करवाऊंगी और बाद की तारीख में तुम
दोनों को फिर से बुलाया जाएगा। तब तक, दोनों को विवादित भूमि पर किसी भी आगे की
कार्रवाई से बचना होगा।अब तुम दोनों जा सकते हो।
(दोनों चले जाते हैं।)
(दो अँगरेज़, अपनी वर्दी में प्रवेश करते हैं।)
(दरबारियों और परिचारकों से घिरे हुए दरबार का माहौल तनावपूर्ण हो जाता है
क्योंकि गवर्नर-जनरल के दूतों ने ब्रिटिश औपनिवेशिक पोशाक पहनकर प्रवेश किया
है।रानी का सलाहकार, रानी के पास आकर खडा हो जाता है।)
रानी: (संदेशवाहकों को जिज्ञासा से देखती है) गवर्नर-जनरल के प्रतिनिधियों,
मेरे विनम्र निवास में कैसे आए?
अँगरेज़ 1: (आदरपूर्वक झुककर) महारानी, मैं गंभीर समाचार लेकर आया हूं। हम
गवर्नर-जनरल का गंभीर संदेश लेकर आए हैं।
रानी: (सिर हिलाते हुए) बताइये।
अँगरेज़ 2:: (गला साफ करते हुए) अत्यंत खेद के साथ, हमें महारानी को सूचित करना
पड़ रहा है कि आपके दत्तक पुत्र की मान्यता के लिए गवर्नर-जनरल को दी गई याचिका
खारिज कर दी गई है।
(दरबारी आपस में बड़बड़ाते हैं। रानी के चेहरे पर शिकन के भाव उत्पन्न हो जाते
हैं।)
रानी: (भौहें सिकोड़कर) अस्वीकार कर दिया गया? किस आधार पर? मेरा दत्तक पुत्र
कुलीन परिवार का है और उसका पालन-पोषण मैंने अपने बेटे की तरह किया है।
अँगरेज़ 1: (झिझकते हुए) गवर्नर-जनरल का मानना है कि ब्रिटिश सरकार को दोनों
पक्षों की भलाई के लिए झांसी राज्य को अपने अधीन ले लेना चाहिए।
(दरबारी हांफने लगते हैं, और रानी की आंखें अविश्वास से फ़ैल जाती हैं।)
रानी: मेरे राज्य को अपने अधीन ले लो? यह मेरी संप्रभुता का अपमान है! इसका
कौन-सा स्पष्टीकरण है?
अँगरेज़ 2:: (संयम बनाए रखते हुए) महारानी,निर्णय ले लिया गया है। ब्रिटिश
सरकार का मानना है कि वह झांसी के लोगों को स्थिरता और समृद्धि प्रदान कर सकती
है।
रानी: (क्रोधित होकर खडी हो जाती है) स्थिरता और समृद्धि? मैंने न्यायपूर्वक
और बुद्धिमत्ता से शासन किया है! मैं अपना राज्य विदेशी शक्तियों को नहीं
सौंपूंगी!
(जब दरबारी चिंतित नज़रों से एक-दूसरे को देखते हैं तो दरबार में एक शांत तनाव
भर जाता है।रानी का सलाहकार आगे बढ़ता है।)
सलाहकार: महारानी, शायद हमें ब्रिटिश सरकार के इस निर्णय पर विचार करना चाहिए।
विरोध करने के बजाय बातचीत करना हमारे हित में हो सकता है।
रानी: (उबलते हुए) बातचीत करें? मैं अपना जन्मसिद्ध अधिकार उन्हें नहीं छीनने
दूंगी! मैं अपने लोगों को किसी विदेशी शक्ति की प्रजा नहीं बनने दूँगी!
अँगरेज़ 1: (धीरे से) महारानी, ब्रिटिश सरकार का निर्णय अंतिम है। ब्रिटिश
सरकार ने इसे राज्य के कल्याण के लिए आवश्यक समझा है।
(दरबारी चुपचाप देखते रह जाते हैं। महल के रक्षक, असुविधाजनक रूप से इधर-उधर
फिरते हैं।)
रानी: (दृढ़ निश्चय के साथ) यह ब्रिटिश सरकार की घुसपैठ है। इस घुसपैठ को
मान्यता नहीं दी जा सकती है।
(अँगरेज़ संदेशवाहक झुकते हैं और महल से बाहर निकलते हैं। दरबारी मार्गदर्शन के
लिए रानी की ओर देखते हैं।)
सलाहकार: (रानी से फुसफुसाते हुए) महारानी, हमें सावधानी से चलना चाहिए।इस
समस्या के समाधान के लिए कूटनीतिक रास्ते हो सकते हैं।
रानी: (दृढ़ता से) नहीं। हम विदेशी शासन के सामने नहीं झुकेंगे।चाहे जो हो
जाए। तैयारी करो। आज़ादी के लिए हमारा संघर्ष अभी से ही शुरू होता है।
सभी दरबारी: महारानी, हम सब आपके साथ हैं।
(अपनी जनता का पूर्ण समर्थन पाकर रानी में जैसे नई चेतना की जागृति होती है।)
रानी: झांसी की रानी रोने के लिए पैदा नहीं हुई है! ब्रिटिश सरकार को समझता
नहीं है कि न्याय किसे कहा जाता है। मैं उनके दबाव में हरगिज़ नहीं आऊंगी। मैं
उनके किसी अध्यादेश का पालन नहीं करूंगी।
दरबारी 1:हमारी जनता के बीच ब्रिटिशों की लोकप्रियता बहुत घट गई है।
दरबारी 2: उन्होंने अकारण ही शहरों पर कब्जा करना शुरू कर दिया है।
दरबारी 3: अपने देश से लाया हुआ घटिया किस्म का कपड़ा यहाँ बेच कर हमारे हथकरघा
उद्योग को बर्बाद कर रहे हैं।
दरबारी 4: उनकी नई कारतूसें पर गाय की चर्बी लगी होती है। और सूअर की भी।
दरबारी 5: और वे लोगों को क्रिस्चियन धर्म अपनाने पर मजबूर कर रहे हैं।
(अचानक एक खबरी अन्दर आता है।)
रानी: कहो खबरी, क्या खबर लाए हो?
खबरी 1: मेरठ के किले में हमारे सिपाहियों ने खुला विद्रोह कर दिया, ब्रिटिश
अफसरों को गोली मारकर कैदियों को रिहा कर दिया। वहाँ से उन्होंने दिल्ली की ओर
कूच किया जहां उनका गर्मजोशी के साथ स्वागत किया गया।
(खबरी 2 का प्रवेश।)
रानी: (खबरी 2 से) कहो, खबरी, तुम भी कोई अच्छी खबर लाए हो या नहीं?
खबरी 2: महारानी, राष्ट्रवादी सैनिकों ने लखनऊ पर अधिकार कर लिया है। और
कानपुर तथा सीतापुर पर भी। और अब वे झांसी की ओर बढ़ रहे हैं।
रानी: अरे वाह, यह तो बहुत अच्छी खबर लाए हो तुम! अब तो ब्रिटिशों को झांसी से
भागना ही पडेगा!
(राष्ट्रवादी सैनिकों की एक टुकड़ी का प्रवेश।)
रानी: अरे, ये तो हमारे राष्ट्रवादी सैनिकों का दल है! आप झांसी तक पहुँच गए!
दल का नेता: बिलकुल, रानी साहेबा! हमने ब्रिटिशों को झांसी से खदेड़ दिया है।
अब आप निश्चित होकर झांसी पर शासन कर सकती हैं।
दरबारी 1: रानी साहेबा हमेशा के लिए झांसी पर राज करेंगी।
दरबारी 2: हम उनकी वफादार प्रजा हैं।
(दरबार में एक व्यक्ति उठ खडा होता है।)
रानी: कहो, सदाशिव राव, तुम्हें क्या कहना है?
सदाशिव राव: आप तो जानती ही हैं कि दिवंगत महाराज ।।। भगवान उनकी आत्मा को
शान्ति दे ।।। का मैं दूर का भतीजा हूँ।
रानी: हाँ ।।।
सदाशिव राव: इस हिसाब से, मैं झांसी का राजा बनूंगा।
दरबारी 3: हरगिज़ नहीं।
दरबारी 4: बिलकुल नहीं, महारानी।
दरबारी 5: झांसी पर तो आप ही राज करेंगी महारानी।
सदाशिव राव: तो फिर इसका फैसला युद्ध में होगा।
(सदाशिव राव गुस्से में पैर पटकते हुए दरबार से निकल जाता है।)
राष्ट्रवादी दल का नेता: आप चिंता न करें रानी साहेबा, मैं देखता हूँ।
(खबरी 3 प्रवेश करता है।)
रानी: कहो खबरी, तुम कौन-सी खबर लाए हो?
खबरी 3: महारानी, दतिया और ओरछा, हमारे दो पड़ोसी राज्यों की सेनाओं ने हमपर
हमला कर दिया है। वे झांसी को हमसे छीनने की कोशिश कर रहे हैं।
राष्ट्रवादी दल का नेता: (रानी से) हमारा राष्ट्रवादी दल इनको भी देख लेगा, आप
निश्चिन्त रहें।
(राष्ट्रवादी दल, अपने नेता के साथ प्रस्थान करता है।)
रानी: हमारे सेनापति को बुलाइए।
रक्षक: (द्वार पर रहते ही आदेश देते हुए) सेनापति हाजिर हो!
(सेनापति अन्दर आता है।)
रानी: (सेनापति से) सेनापति, हमें जबरदस्ती अपने आदमी बेकार नहीं जाने देने
हैं। हम सिर्फ तब ही हमला करेंगे जब दुश्मन एकदम करीब आ जाए।
सेनापति: जी महारानी। बिलकुल ऐसा ही सोचा है। बाहर ही मुझे राष्ट्रवादी दल के
सैनिक भी मिले।
(पर्दा गिरता है। फिर पर्दा उठता है। कुछ दिनों के पश्चात ।।।)
(मंच उसी प्रकार है। रानी, अपने दरबारियों के साथ विराजमान है। सेनापति पधारता
है।)
सेनापति: महारानी, हमने पड़ोसी राज्यों के नापाक इरादों को विफल कर दिया है। और
सदाशिव राव भी भाग गया है।
रानी: शाबास!
(खबरी 1 का प्रवेश।)
खबरी 1: महारानी, एक बुरी खबर लाया हूँ। ब्रिटिशों ने दिल्ली पर कब्जा कर लिया
है।
रानी: जिस बूढ़े मुग़ल बादशाह को दिल्ली की गद्दी पर बिठाया गया था, उसका क्या
हुआ?
खबरी 1: उसे बंदी बना लिया गया है। उसके बेटों को गोली से मार दिया गया है।
(खबरी 2 का प्रवेश।)
रानी: तुम क्या खबर लाए हो, खबरी?
खबरी 2: नाना साहेब की सेना पराजित हो गई है। कानपुर पर फिर से ब्रिटिशों का
राज हो गया है। ब्रिटिशों ने औध का राज्य भी फिर से हथिया लिया है।
दरबारी 1: औध, अवध क्षेत्र में आता है।
दरबारी 2: औध पर कब्जा करने से औध के तालुकदार बेहद नाराज हो जायेंगे।
दरबारी 3: यही मौक़ा है महारानी कि हम उनको ब्रिटिशों के खिलाफ और भड़का दें।
दरबारी 4: क्या ब्रिटिश अब झांसी पर नज़र डालेंगे?
दरबारी 5: चाहे जो हो, हमें ब्रिटिशों के खिलाफ युद्ध की तैय्यारियाँ कर देनी
चाहिए।
रानी: सेनापति, हमारे पास अस्त्र-शस्त्र कितने हैं?
सेनापति: हमें और खरीदने पड़ेंगे।
रानी: किले में राशन भरा हुआ है? एक लंबी घेराबंदी के लिए हमें तैयार हो जाना
चाहिए।
दरबारी 1: भरपूर मात्रा में भोजन और चारा लगेगा।
दरबारी 2: महारानी, सेना में और आदमी भारती करने चाहिए।
सेनापति: सैनिकों को सेना में भारती होने की मुहीम चलाऊंगा।
दरबारी 3: पूरी जनता झांसी के लिए लड़ने के लिए तैयार है!
दरबारी 4: स्त्रियाँ और बच्चे भी तैयार हैं!
दरबारी 5: मुझसे तो वे पहले से ही कह रहे थे कि कब युद्ध पर जाना है!
रानी: ठीक है, स्त्रियों को भी सेना में भर्ती करो। उनको घुड़सवारी सिखाओ,
तलवार चलाना, बंदूकें चलाना सिखाओ।
दरबारी 4: बहुत स्त्रियाँ ऎसी हैं जो निगरानी रखने का तथा रक्षक बनने का काम
करना चाहती हैं।
दरबारी 5: कुछ को घायलों की सेवा करनी है। वे सेवाप्रधान महिलाएं हैं।
दरबारी 4: सभी महिलाओं का कहना है कि हर युद्ध में आप की ही विजय होगी और
झांसी किसी के अधीन नहीं जायेगी।
रानी: ठीक है, इन महिलाओं के लिए एक बड़ा हल्दी-कुमकुम समारोह का आयोजन करते
हैं। (दरबारी 4 से) आप इस कार्यक्रम को कराइए ताकि झांसी की महिलाएं प्रेरित
हों और उनका उत्साहवर्धन हो।
(खबरी 3 का प्रवेश।)
खबरी 3: महारानी, एक बुरा समाचार है।
रानी: कहो।
खबरी 3: ब्रिटिशों ने सेहोर, राहतगढ़ और सागर पर कब्जा जमा लिया है, अब कुछ ही
हफ़्तों में वे झांसी के द्वार पर होंगे।
(सेनापति एक क्षण के लिए बाहर जाता है और लौट कर आता है।)
सेनापति: रानी साहेबा, ब्रिटिशों ने चंदेरी का किला हथिया लिया है। अब वे
झांसी के नज़दीक हैं।
रानी: हम हिम्मत नहीं हारेंगे।
दरबारी 1: आप अपने पुराने मित्र तात्या टोपे और राव साहेब की मदद क्यों नहीं
मांगते?
सेनापति: पन्ना और चरखारी के राजा ब्रिटिशों के समर्थक हैं। तात्या टोपे ने
उनपर हमला किया है। वहाँ से कुछ धन भी इकठ्ठा किया है, कुछ बंदूकें भी।
सलाहकार: एक बार दरबारियों की राय ले लें कि हमें क्या करना चाहिए?
रानी: दरबारियों?
दरबारी 2: मुझे तो लगता है कि हमें लड़ना चाहिए, लेकिन यह फैसला आपके ऊपर है।
सलाहकार: हमें अपने घर और इस को बचाना चाहिए। मैं युद्ध के खिलाफ हूँ।
सेनापति: नहीं, हम लड़ेंगे। हम झांसी की स्वतंत्रता कायम रखेंगे। झांसी पर किसी
विदेशी ताकत को बैठने नहीं देंगे।
रानी: सेनापति जी, आपका निर्णय बहादुरी भरा है। आप निर्भीक हैं। हम लड़ेंगे।
अगर विजयी हुए तो स्वतंत्रता का आनंद लेंगे। अगर हमारी पराजय होती है या हम
वीरगति को प्राप्त होते हैं, तो लोग हमारी और झांसी की महिमा के गुणगान
गायेंगे।
सभी दरबारी: रानी लक्ष्मीबाई की जय! झांसी अमर रहे!
(मंच के पीछे से गीत बजता है - "खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी!")
(पर्दा गिरता है।)