सावन की उनहार आँगन-पार।
मधु बरसे, हुन बरसे, बरसे -- स्वाँति धार। आँगन पार।
सावन की उनहार -
[1948]
हिंदी समय में शमशेर बहादुर सिंह की रचनाएँ
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