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जो नहीं है
जैसे कि 'सुरुचि'
उसका गम क्या?
वह नहीं है।
किससे लड़ना?
रुचि तो है शान्ति,
स्थिरता,
काल-क्षण में
एक सौन्दर्य की
मौन अमरता।
अस्थिर क्यों होना
फिर?
जो है
उसे ही क्यों न सँजोना?
उसी के क्यों न होना!-
जो कि है।
जो नहीं है
जैसे कि सुरुचि
उसका गम क्या?
वह नहीं है।
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