कविता
अव्यय अशोक वाजपेयी
उसमें जो अव्यय है उसी को छूने की चेष्टा करता हूँ : वह जिसे वह भी चाहे तो नष्ट नहीं कर पाएगी।
हिंदी समय में अशोक वाजपेयी की रचनाएँ
अनुवाद
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