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कविता

पहला चुंबन

अशोक वाजपेयी


एक जीवित पत्थर की दो पत्तियाँ
रक्ताभ, उत्सुक
काँपकर जुड़ गईं

मैंने देखा :

मैं फूल खिला सकता हूँ।

 


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हिंदी समय में अशोक वाजपेयी की रचनाएँ



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