उसने अपने प्रेम के लिए जगह बनाई बुहार कर अलग कर दिया तारों को सूर्य-चन्द्रमा को रख दिया एक तरफ वनलताओं को हटाया उसने पृथ्वी को झाड़ा-पोंछा और आकाश की तहें ठीक कीं उसने अपने प्रेम के लिए जगह बनाई
हिंदी समय में अशोक वाजपेयी की रचनाएँ
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कविताएँ